शरद नवरात्रि 2025

नवरात्रि पारणा 2025
व्रत पारण
02
अक्टूबर 2025
गुरुवार
माँ दुर्गा
माँ दुर्गा

शारदीय नवरात्रि व्रत का पारण गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को किया जाएगा।

पारण का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे के बाद

🐘 इस बार माँ दुर्गा का आगमन हाथी पर

इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ सोमवार, 22 सितंबर 2025 से हो रहा है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, माँ दुर्गा का आगमन इस वर्ष हाथी पर हो रहा है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। हाथी सुख-समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है, इसलिए माना जाता है कि इस वर्ष माँ अपने भक्तों के लिए सुख, शांति और धन-धान्य लेकर आएंगी।

🎨 नवरात्रि में रंगों का महत्व

नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित होते हैं, और हर दिन का एक विशेष रंग होता है। ये रंग न केवल देवी को प्रसन्न करते हैं, बल्कि भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा भी लाते हैं। इन रंगों के कपड़े पहनने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है:

  • प्रतिपदा (सोमवार): लाल रंग (माँ शैलपुत्री) – लाल रंग प्रेम, शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह देवी के उग्र रूप को दर्शाता है, जो बुराई का नाश करता है।
  • द्वितीया (मंगलवार): गहरा नीला (माँ ब्रह्मचारिणी) – यह रंग शांति, स्थिरता और पवित्रता का प्रतीक है। यह दैवीय ऊर्जा और शक्ति को दर्शाता है।
  • तृतीया (बुधवार): पीला (माँ चंद्रघंटा) – पीला रंग खुशी, ज्ञान और उत्साह का प्रतीक है। यह मन में आनंद और सकारात्मकता का संचार करता है।
  • चतुर्थी (गुरुवार): हरा (माँ कूष्मांडा) – हरा रंग प्रकृति, विकास और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह जीवन में सद्भाव और शांति लाता है।
  • पंचमी (शुक्रवार): ग्रे (माँ स्कंदमाता) – ग्रे रंग नकारात्मकता और बुरी शक्तियों का नाश करने का प्रतीक है। यह शांत और संतुलित मन को दर्शाता है।
  • षष्ठी (शनिवार): नारंगी (माँ कात्यायनी) – नारंगी रंग खुशी, गर्मी और उत्साह का प्रतीक है। यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और रचनात्मक ऊर्जा लाता है।
  • सप्तमी (रविवार): मोरपंखी हरा (माँ कालरात्रि) – यह रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। यह जीवन में खुशियां और नई ऊर्जा लाता है।
  • अष्टमी (सोमवार): गुलाबी (माँ महागौरी) – गुलाबी रंग प्रेम, दया और करुणा का प्रतीक है। यह व्यक्ति के मन को शांत करता है।
  • नवमी (मंगलवार): बैंगनी (माँ सिद्धिदात्री) – बैंगनी रंग महत्वाकांक्षा, शक्ति और अध्यात्म का प्रतीक है। यह मन में शांति और स्थिरता लाता है।

🏺 घट स्थापना: नवरात्रि का शुभारंभ

घट स्थापना या कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह माँ दुर्गा के नौ दिवसीय उत्सव का आरंभ होता है। कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक और उसमें स्थापित जल को सभी पवित्र नदियों का सार माना जाता है। सही विधि और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करने से माँ दुर्गा की कृपा बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

घट स्थापना 2025: शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2025 का आरंभ सोमवार, 22 सितंबर 2025 से होगा। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:

  • घट स्थापना का समय: सुबह 06:09 बजे से सुबह 08:06 बजे तक
  • अवधि: 1 घंटा 57 मिनट
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक

कलश स्थापना की विधि और सामग्री

घट स्थापना के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • मिट्टी का कलश
  • साफ मिट्टी
  • सप्तधान्य या जौ (कलश के नीचे बोने के लिए)
  • गंगाजल या पवित्र जल
  • सुपारी, सिक्का, अक्षत (कलश के अंदर रखने के लिए)
  • आम या अशोक के 5 पत्ते
  • नारियल
  • लाल कपड़ा या चुनरी
  • फूलों की माला

घट स्थापना की विधि:

  1. सबसे पहले एक साफ जगह पर लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  2. अब मिट्टी के पात्र में जौ या सप्तधान्य बोएं।
  3. कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।
  4. कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते रखें।
  5. नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर कलश के मुख पर रखें।
  6. इस कलश को जौ वाले पात्र के ऊपर स्थापित करें।
  7. इसके बाद माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना शुरू करें।

नवरात्रि पारण का महत्व

नवरात्रि पारण का अर्थ है, व्रत को विधि-विधान से समाप्त करना। नौ दिनों तक चले कठोर उपवास का पारण करके ही भक्त पूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन कन्या पूजन और देवी दुर्गा को विदाई देने का विधान है, जिससे व्रती को माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • पारण का दिन विजयदशमी (दशहरा) भी होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  • इस दिन माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है, जिसे दुर्गा विसर्जन कहते हैं।

🙏 पूजा विधि और अनुष्ठान

पारण के दिन व्रत खोलने से पहले कुछ विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है कन्या पूजन।

  1. कन्या पूजन की तैयारी: पारण के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद 9 छोटी कन्याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें। बालक को लंगूर या भैरव का स्वरूप माना जाता है।
  2. स्वागत और सम्मान: कन्याओं और बालक के घर आने पर उनके पैर धोएं और उन्हें सम्मानपूर्वक आसन पर बिठाएं। उनके माथे पर कुमकुम और चावल का तिलक लगाएं।
  3. भोजन: कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। पारंपरिक रूप से इस दिन पूरी, हलवा और चना बनाया जाता है। आप अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार अन्य सात्विक भोजन भी परोस सकते हैं।
  4. दक्षिणा और उपहार: भोजन कराने के बाद कन्याओं को सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा और कुछ उपहार भेंट करें।
  5. आशीर्वाद: उनसे आशीर्वाद लें और उनके पैर छूकर विदा करें।
  6. पारण: कन्या पूजन और उन्हें भोजन कराने के बाद ही व्रती स्वयं भोजन ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ते हैं।

🎁 कन्या पूजन के लिए जरूरी सामग्री

  • 9 छोटी कन्याएं और 1 बालक
  • गंगाजल या स्वच्छ जल
  • कुमकुम, चावल
  • पूरी, हलवा और चना
  • कुछ दक्षिणा (पैसे)
  • उपहार (जैसे रुमाल, पेंसिल बॉक्स या कोई अन्य छोटी वस्तु)

🗓️ शारदीय नवरात्रि 2025 का पूरा कैलेंडर

नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण नवरात्रि 10 दिन के होंगे।

  • पहला दिन (सोमवार, 22 सितंबर 2025): माँ शैलपुत्री पूजा (प्रतिपदा)। भोग: गाय के घी का भोग लगाने से रोग और दुख दूर होते हैं।
  • दूसरा दिन (मंगलवार, 23 सितंबर 2025): माँ ब्रह्मचारिणी पूजा (द्वितीया)। भोग: शक्कर का भोग लगाएं, इससे परिवार के सदस्यों की आयु बढ़ती है।
  • तीसरा दिन (बुधवार, 24 सितंबर 2025): माँ चंद्रघंटा पूजा (तृतीया)। भोग: दूध और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
  • चौथा दिन (गुरुवार, 25 सितंबर 2025): माँ कूष्मांडा पूजा (चतुर्थी)। भोग: मालपुआ का भोग लगाने से बुद्धि का विकास होता है।
  • पांचवा दिन (शुक्रवार, 26 सितंबर 2025): माँ स्कंदमाता पूजा (पंचमी)। भोग: केले का भोग लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति आती है।
  • छठा दिन (शनिवार, 27 सितंबर 2025): माँ कात्यायनी पूजा (षष्ठी)। भोग: शहद का भोग लगाने से सौंदर्य में वृद्धि होती है।
  • सातवाँ दिन (रविवार, 28 सितंबर 2025): माँ कालरात्रि पूजा (सप्तमी)। भोग: गुड़ का भोग लगाएं, इससे शत्रुओं का नाश होता है।
  • आठवाँ दिन (सोमवार, 29 सितंबर 2025): माँ महागौरी पूजा (अष्टमी)। भोग: नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
  • नवाँ दिन (मंगलवार, 30 सितंबर 2025): माँ सिद्धिदात्री पूजा (नवमी)। भोग: तिल का भोग लगाएं।
  • दशमी (बुधवार, 01 अक्टूबर 2025): इस दिन दशहरा मनाया जाएगा।
  • ग्यारहवाँ दिन (गुरुवार, 02 अक्टूबर 2025): नवरात्रि पारण और दुर्गा विसर्जन।

🏛️ प्रमुख देवी मंदिर

भारत में माँ दुर्गा और उनके विभिन्न स्वरूपों को समर्पित कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर और उनकी मान्यताएँ इस प्रकार हैं:

  • वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू और कश्मीर): त्रिकुटा पर्वत पर स्थित यह मंदिर माता वैष्णो देवी को समर्पित है। यहाँ दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि माता यहाँ गुफा में रहती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
  • कामाख्या मंदिर (असम): गुवाहाटी में स्थित यह एक शक्तिपीठ है। यह मंदिर अपनी तांत्रिक पूजा और विशेष अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ देवी की पूजा रजस्वला (मासिक धर्म) के रूप में होती है, जो स्त्री शक्ति का प्रतीक है।
  • कालिका माता मंदिर (पावागढ़, गुजरात): पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित यह एक और शक्तिपीठ है। यहाँ देवी काली का निवास माना जाता है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए रोपवे का उपयोग किया जाता है।
  • नैना देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश): यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है और इसे भी 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहाँ माता सती के नेत्र गिरे थे, ऐसी मान्यता है।

🎊 समापन

नवरात्रि पारण का यह पवित्र अनुष्ठान न केवल आपके व्रत को पूर्ण करता है, बल्कि आपको माँ दुर्गा की असीम कृपा और आशीर्वाद भी दिलाता है। यह पर्व हमें शक्ति और भक्ति का महत्व सिखाता है। इस शुभ दिन पर, आप सभी पर माँ दुर्गा की कृपा बनी रहे।

जय माता दी!

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