Pausha Putrada Ekadashi 2024: पौष पुत्रदा एकादशी
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पौष पुत्रदा एकादशी हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस बार पौष पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी, 2024 को है। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से व्रती को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। इसलिए, इस व्रत को पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी की तिथि और मुहूर्त:
- तिथि: 21 जनवरी 2024 (रविवार)
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 जनवरी 2024, रात 07:26 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 21 जनवरी 2024, रात 07:26 बजे
- व्रत पारण मुहूर्त: 22 जनवरी 2024, प्रातः 07:14 ए एम से 09:21 ए एम
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि:
- दशमी के दिन सात्विक भोजन करें।
- एकादशी के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी दल, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
- दिन भर उपवास रखें और केवल फलाहार करें।
- शाम को भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं और आरती करें।
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा :-
एक समय की बात है, भद्रावती नामक नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था। वह बहुत ही दयालु और प्रजा हितैषी था। उसके राज्य में सुख-समृद्धि का आलम था, लेकिन एक कमी थी, राजा के कोई संतान नहीं थी। इस वजह से राजा और रानी दोनों ही बहुत दुखी रहते थे।
एक दिन, राजा वन में शिकार करने गए। वहां उन्हें कुछ ऋषि तपस्या करते हुए दिखाई दिए। राजा ने ऋषियों से अपने दुख का कारण बताया और उनसे संतान प्राप्ति के लिए कोई उपाय पूछा। ऋषियों ने राजा को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।
ऋषियों ने राजा को बताया कि यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है। राजा ने ऋषियों का आभार माना और महल लौट आए।
राजा ने अपने राज्य में घोषणा करवाई कि सभी लोग पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करें। राजा और रानी ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया और भगवान विष्णु की आराधना की।
व्रत के प्रभाव से कुछ समय बाद, रानी गर्भवती हो गईं और नौ महीने बाद उन्हें एक सुंदर पुत्र हुआ। राजा और रानी बहुत खुश थे और उन्होंने नवजात शिशु का नाम धर्मपाल रखा।
धर्मपाल एक बुद्धिमान और वीर बालक था। वह धीरे-धीरे बड़ा हुआ और राजा बनने के लिए तैयार हो गया। राजा सुकेतुमान ने धर्मपाल को राजगद्दी सौंपी और अपने जीवन का बाकी समय आनंदपूर्वक व्यतीत किया।
इस कथा से पता चलता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करना बहुत ही फलदायी होता है। इस व्रत को करने से न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है।
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन विशेष उपाय:
- इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से विशेष लाभ होता है।
- इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से भी विशेष लाभ होता है।