ओणम/थिरुवोणम 2025

ओणम/थिरुवोणम 2025
ओणम
05
सितंबर 2025
शुक्रवार
ओणम उत्सव
ओणम उत्सव
ओणम (थिरुवोणम) तिथि: शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

ओणम केरल का सबसे महत्वपूर्ण और भव्य त्योहार है, जो फसल कटाई और राजा महाबलि के स्वागत के रूप में मनाया जाता है।

ओणम (Onam) केरल का सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक फसल उत्सव है, जिसे मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है, जिसमें थिरुवोणम (Thiruvonam) सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। ओणम का त्योहार सिर्फ फसल कटाई का उत्सव नहीं है, बल्कि यह दानवीर और प्रजाप्रिय असुर राजा महाबलि के पृथ्वी पर वार्षिक आगमन का भी प्रतीक है। यह केरल की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और भाईचारे का परिचायक है।

ओणम का महत्व:

  • राजा महाबलि का स्वागत: ओणम मुख्य रूप से राजा महाबलि के स्वागत में मनाया जाता है, जो हर साल थिरुवोणम के दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।
  • फसल कटाई का उत्सव: यह केरल के किसानों के लिए फसल कटाई का त्योहार है, जो अच्छी फसल के लिए प्रकृति और देवताओं का आभार व्यक्त करते हैं।
  • समृद्धि और एकता: ओणम समृद्धि, शांति और एकता का प्रतीक है। यह धर्म, जाति और पंथ से परे सभी केरलवासियों द्वारा समान उत्साह के साथ मनाया जाता है।
  • दान और समानता: राजा महाबलि के शासनकाल को स्वर्ण युग माना जाता है, जहाँ सभी लोग समान और सुखी थे। ओणम इस समानता और दानशीलता के मूल्यों को याद दिलाता है।

📜 ओणम की पौराणिक कथा:

ओणम की कथा दानवीर और प्रजाप्रिय असुर राजा महाबलि से जुड़ी है। राजा महाबलि एक शक्तिशाली और न्यायप्रिय शासक थे, जिनके राज्य में प्रजा अत्यंत सुखी और समृद्ध थी। उनकी दानशीलता इतनी अधिक थी कि उन्होंने अपने तप और दान से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार कर लिया था, जिससे देवता चिंतित हो गए।

देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब भगवान विष्णु ने वामन (बौने ब्राह्मण) का रूप धारण किया और राजा महाबलि के पास पहुंचे, जब वे एक बड़ा यज्ञ कर रहे थे। वामन देव ने राजा महाबलि से केवल ‘तीन पग भूमि’ दान में मांगी। राजा महाबलि ने, अपनी दानशीलता के लिए प्रसिद्ध होने के कारण, वामन देव की छोटी सी मांग को तुरंत स्वीकार कर लिया, भले ही उनके गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें मना किया था।

जैसे ही राजा महाबलि ने दान का संकल्प लिया, वामन देव ने अपना विराट रूप धारण कर लिया। पहले पग में उन्होंने पूरी पृथ्वी को नाप लिया, और दूसरे पग में उन्होंने पूरे आकाश को ढक लिया। तीसरे पग के लिए कोई स्थान नहीं बचा। राजा महाबलि ने, अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए, अपना सिर वामन देव के सामने रख दिया और कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रखें। भगवान वामन ने उनके सिर पर तीसरा पग रखा और उन्हें पाताल लोक भेज दिया।

भगवान विष्णु, राजा महाबलि की दानशीलता और सत्यनिष्ठा से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने महाबलि को यह वरदान दिया कि वे साल में एक बार, थिरुवोणम के दिन, अपनी प्रजा से मिलने के लिए पृथ्वी पर आ सकते हैं। इसी दिन को ओणम के रूप में मनाया जाता है, जहाँ केरलवासी अपने प्रिय राजा का भव्य स्वागत करते हैं।

🙏 ओणम के अनुष्ठान और उत्सव:

ओणम 10 दिनों तक चलने वाला एक भव्य उत्सव है, जिसमें विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। थिरुवोणम 10वें दिन पड़ता है, जो उत्सव का मुख्य दिन होता है।

  1. अथम (पहला दिन): इस दिन से पूकलम (फूलों की रंगोली) बनाना शुरू किया जाता है। यह पूकलम हर दिन बड़ा होता जाता है।
  2. थिरुवोणम (दसवां दिन – मुख्य दिन):
    • पूकलम (Pookalam): घरों के सामने सुंदर और बड़े पूकलम बनाए जाते हैं, जो राजा महाबलि के स्वागत का प्रतीक हैं।
    • ओणम साद्य (Onasadya): यह ओणम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें 20-30 से अधिक पारंपरिक शाकाहारी व्यंजन केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं। यह एक भव्य दावत होती है।
    • ओणक्कोडी (Onakkodi): इस दिन नए पारंपरिक वस्त्र पहने जाते हैं।
    • ओणथप्पन (Onathappan): घरों में मिट्टी के शंकु के आकार के पिरामिड बनाए जाते हैं, जो महाबलि और वामन देव का प्रतीक हैं।
    • कैकॉटिकली (Kaikottikali): महिलाएं पारंपरिक केरल साड़ी पहनकर एक घेरे में दीपक के चारों ओर नृत्य करती हैं।
    • पुलीकली (Pulikali): पुरुष बाघों की तरह शरीर पर पेंटिंग करते हैं और सड़कों पर नृत्य करते हैं।
    • वल्लमकाली (Vallamkali – बोट रेस): केरल की प्रसिद्ध नाव दौड़, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
    • ओणम खेल: विभिन्न प्रकार के पारंपरिक खेल और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

💡 ओणम से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:

ओणम के अन्य नाम:

  • थिरुवोणम: ओणम का मुख्य दिन।
  • फसल उत्सव: केरल में फसल कटाई का प्रमुख त्योहार।
  • महाबलि उत्सव: राजा महाबलि के आगमन का उत्सव।

ओणम का सांस्कृतिक महत्व:

  • केरल की पहचान: ओणम केरल की सांस्कृतिक विरासत और पहचान का प्रतीक है।
  • धर्मनिरपेक्षता: यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों द्वारा समान उत्साह और भाईचारे के साथ मनाया जाता है।
  • पारंपरिक कला और संस्कृति का प्रदर्शन: ओणम के दौरान केरल की पारंपरिक कलाओं जैसे कथकली, मोहिनीअट्टम, पुलीकली आदि का प्रदर्शन होता है।

ओणम साद्य की विशेषता:

  • ओणम साद्य में विभिन्न प्रकार के व्यंजन होते हैं जैसे चावल, सांभर, अवियल, तोरण, पायसम (खीर) आदि। यह एक पूर्ण और संतुलित भोजन होता है।
  • यह भोजन केले के पत्ते पर परोसा जाता है, जो केरल की पारंपरिक भोजन शैली का हिस्सा है।

ओणम के दस दिन (The Ten Days of Onam):

ओणम का उत्सव दस दिनों तक चलता है, और प्रत्येक दिन का अपना विशिष्ट महत्व और अनुष्ठान होता है:

  • अथम (Atham – पहला दिन): इस दिन से पूकलम (फूलों की रंगोली) बनाना शुरू किया जाता है। यह पूकलम हर दिन बड़ा होता जाता है। लोग मंदिरों में जाते हैं और ओणम की तैयारियां शुरू करते हैं।
  • चित्तिरा (Chithira – दूसरा दिन): पूकलम में नए फूलों को जोड़ा जाता है। घरों को साफ किया जाता है और ओणम के लिए खरीदारी शुरू होती है।
  • चोडी (Chodhi – तीसरा दिन): इस दिन परिवार के सदस्य एक-दूसरे को उपहार देते हैं, खासकर नए कपड़े (ओणक्कोडी)। पूकलम में और भी फूल जोड़े जाते हैं।
  • विशाकम (Vishakam – चौथा दिन): ओणम साद्य (दावत) के लिए सामग्री की खरीद शुरू होती है। इस दिन कई घरों में ओणम साद्य के कुछ व्यंजन बनाए जाते हैं।
  • अनिझाम (Anizham – पांचवां दिन): इस दिन प्रसिद्ध नाव दौड़ (वल्लमकाली) के लिए अभ्यास शुरू होता है।
  • थ्रिकेता (Thriketa – छठा दिन): इस दिन से मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना शुरू होती है। परिवार के सदस्य एक-दूसरे से मिलने जाते हैं।
  • मूलम (Moolam – सातवां दिन): इस दिन से सार्वजनिक ओणम समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू होते हैं। कई जगहों पर ओणम साद्य का आयोजन होता है।
  • पूरदम (Pooradam – आठवां दिन): इस दिन राजा महाबलि और वामन देव की मिट्टी की प्रतिमाएं (ओणथप्पन) घरों में स्थापित की जाती हैं। पूकलम अपने सबसे बड़े आकार में होता है।
  • उथ्रादम (Uthradam – नौवां दिन): इसे ‘पहला ओणम’ भी कहा जाता है। यह ओणम की तैयारी का अंतिम दिन होता है। इस दिन परिवार के सदस्य मिलकर ओणम साद्य के लिए अंतिम तैयारियां करते हैं।
  • थिरुवोणम (Thiruvonam – दसवां दिन): यह ओणम का सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य दिन है। इस दिन राजा महाबलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। लोग नए वस्त्र पहनते हैं, भव्य ओणम साद्य का आनंद लेते हैं, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

ओणम के दौरान प्रमुख आकर्षण (Major Attractions during Onam):

  • वल्लमकाली (Vallamkali – Snake Boat Race): केरल की प्रसिद्ध और रोमांचक नाव दौड़, विशेषकर अलाप्पुझा में आयोजित होने वाली नेहरू ट्रॉफी बोट रेस, ओणम उत्सव का एक प्रमुख आकर्षण है। यह एकता और टीम वर्क का प्रतीक है।
  • पुलीकली (Pulikali – Tiger Dance): यह एक लोक कला है जहाँ कलाकार अपने शरीर को बाघों की तरह रंगते हैं और सड़कों पर ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं। यह त्रिशूर में विशेष रूप से लोकप्रिय है।
  • कथकली और मोहिनीअट्टम (Kathakali and Mohiniyattam): ओणम के दौरान केरल के शास्त्रीय नृत्य रूपों का प्रदर्शन किया जाता है, जो राज्य की समृद्ध कलात्मक विरासत को दर्शाते हैं।
  • ओणम साद्य (Onasadya): यह सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि एक विस्तृत सांस्कृतिक अनुभव है। इसमें 20-30 से अधिक शाकाहारी व्यंजन शामिल होते हैं, जिन्हें केले के पत्ते पर परोसा जाता है। यह परिवार और समुदाय के साथ मिलकर आनंद लेने का प्रतीक है।
  • पूकलम (Pookalam – Flower Carpet): हर घर के सामने फूलों की रंगोली बनाई जाती है, जो ओणम की सुंदरता और रचनात्मकता को दर्शाती है। यह राजा महाबलि के स्वागत का प्रतीक है।

ओणम का संदेश (Message of Onam):

  • समानता और न्याय: ओणम राजा महाबलि के शासनकाल की याद दिलाता है, जहाँ सभी लोग समान थे और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता था। यह त्योहार हमें समानता और न्याय के मूल्यों को बनाए रखने का संदेश देता है।
  • दान और उदारता: राजा महाबलि की दानशीलता ओणम का एक केंद्रीय विषय है। यह त्योहार हमें दूसरों के प्रति उदार होने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है।
  • प्रकृति के प्रति आभार: ओणम एक फसल उत्सव है, जो हमें प्रकृति और अच्छी फसल के लिए आभार व्यक्त करने का अवसर देता है।
  • एकता और भाईचारा: यह त्योहार धर्म, जाति और पंथ से परे सभी केरलवासियों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक सद्भाव और भाईचारा बढ़ता है।
  • आशा और पुनरुत्थान: राजा महाबलि के वार्षिक आगमन की कहानी आशा और पुनरुत्थान का संदेश देती है, कि अच्छे समय हमेशा लौटते हैं।

🎶 ओणम के लोकप्रिय गीत:

ओणम का त्योहार सिर्फ दावत और खेलों का नहीं, बल्कि पारंपरिक गीतों और नृत्यों का भी है जो केरल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं। ये गीत आमतौर पर मलयालम भाषा में होते हैं और राजा महाबलि के स्वागत, फसल की समृद्धि, और ओणम के विभिन्न अनुष्ठानों का वर्णन करते हैं।

1. पारंपरिक ओणम गीत (Onam Pattu / Folk Songs):

ये गीत पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं और ओणम के हर घर में गाए जाते हैं। इनमें राजा महाबलि की वापसी, केरल की सुंदरता और ओणम के दौरान होने वाली गतिविधियों का वर्णन होता है।

  • मावेली नाडु वानेदुम कालाम (Maveli Nadu Vaneedum Kalam): यह सबसे प्रसिद्ध ओणम गीत है। यह राजा महाबलि के शासनकाल का वर्णन करता है, जब सभी लोग समान थे, कोई चोरी नहीं थी, और हर जगह समृद्धि थी। यह गीत ओणम के आदर्शों का प्रतीक है।
    • गीत के बोल (संक्षेप में):
      • “मावेली नाडु वानेदुम कालाम, मानुषरेल्लावरुम ओन्नुपole…”
      • (जब मावेली देश पर शासन करते थे, तब सभी मनुष्य समान थे…)
  • पूकलम पूकलम (Pookkalam Pookkalam): यह गीत पूकलम बनाने और फूलों की सुंदरता का वर्णन करता है।
  • ओणम वन्नु (Onam Vannu): यह गीत ओणम के आगमन और उसके साथ आने वाली खुशियों का जश्न मनाता है।

2. ओणम वल्लमकाली (नाव दौड़) गीत:

वल्लमकाली (नाव दौड़) ओणम का एक प्रमुख आकर्षण है, और इसके साथ गाए जाने वाले गीत (वंचीपट्टु – Vanchippattu) अत्यंत ऊर्जावान और उत्साहवर्धक होते हैं। ये गीत नाव चलाने वालों को प्रेरित करते हैं और दर्शकों में जोश भरते हैं।

  • कुट्टानादन पुन्चायिले (Kuttanadan Punjayile): यह नाव दौड़ का एक बहुत ही प्रसिद्ध गीत है, जो केरल के कुट्टानाड क्षेत्र की नाव दौड़ का वर्णन करता है।
  • अराट्टुपूझा पूरम (Arattupuzha Pooram): यह भी नाव दौड़ से संबंधित एक लोकप्रिय गीत है।

3. ओणम कैकॉटिकली (नृत्य) गीत:

कैकॉटिकली ओणम के दौरान महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक पारंपरिक नृत्य है, जिसमें वे दीपक के चारों ओर घूमते हुए गीत गाती हैं। इन गीतों में अक्सर पौराणिक कथाएं और राजा महाबलि की कहानी शामिल होती है।

  • उज्याला (Ujjala): कैकॉटिकली के दौरान गाए जाने वाले कई पारंपरिक गीत होते हैं जो ओणम के उत्सव और धार्मिक महत्व पर केंद्रित होते हैं।

4. आधुनिक और भक्ति गीत:

समय के साथ, ओणम के लिए कई नए गीत और भक्ति भजन भी बनाए गए हैं जो त्योहार की भावना को दर्शाते हैं। ये गीत अक्सर फिल्मों या एल्बमों में शामिल होते हैं।

  • कई मलयालम भक्ति गीत भी ओणम के दौरान भगवान विष्णु (वामन अवतार) और राजा महाबलि की स्तुति में गाए जाते हैं।

ये गीत ओणम के त्योहार का एक अभिन्न अंग हैं, जो इसे न केवल एक धार्मिक और फसल उत्सव बनाते हैं, बल्कि एक सांस्कृतिक और कलात्मक अनुभव भी प्रदान करते हैं।

📍 ओणम कहाँ-कहाँ मनाया जाता है:

ओणम मुख्य रूप से केरल राज्य का सबसे महत्वपूर्ण और भव्य त्योहार है, जिसे यहाँ के सभी धर्मों के लोग बड़े उत्साह और भाईचारे के साथ मनाते हैं। केरल में यह एक राजकीय अवकाश होता है और पूरे राज्य में इसकी धूम रहती है।

केरल के बाहर भी, जहाँ-जहाँ मलयाली समुदाय के लोग निवास करते हैं, वहाँ भी ओणम का उत्सव मनाया जाता है। इनमें प्रमुख स्थान शामिल हैं:

  • भारत के अन्य राज्य: विशेष रूप से कर्नाटक (बेंगलुरु), तमिलनाडु (चेन्नई), महाराष्ट्र (मुंबई), दिल्ली और गुजरात जैसे राज्यों के बड़े शहरों में जहाँ मलयाली प्रवासी रहते हैं, वहाँ भी ओणम के सांस्कृतिक कार्यक्रम और साद्य का आयोजन किया जाता है।
  • विश्व के अन्य देश: संयुक्त अरब अमीरात (UAE), संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), यूनाइटेड किंगडम (UK), कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों में भी बड़ी संख्या में मलयाली समुदाय के लोग रहते हैं। ये प्रवासी समुदाय अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के लिए ओणम का त्योहार भव्य रूप से मनाते हैं, जिसमें पारंपरिक पूकलम, ओणम साद्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।

हालांकि, ओणम का मूल और सबसे जीवंत स्वरूप केरल में ही देखने को मिलता है, जहाँ यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवनशैली का एक अभिन्न अंग है।

📈 ओणम के लाभ:

ओणम का त्योहार सिर्फ मनोरंजन और दावत का माध्यम नहीं, बल्कि इसके कई गहरे लाभ भी हैं:

  • सामाजिक एकता: यह त्योहार लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक सद्भाव और एकता बढ़ती है।
  • सांस्कृतिक संरक्षण: ओणम केरल की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में मदद करता है।
  • प्रकृति के प्रति आभार: यह त्योहार किसानों और आम लोगों को अच्छी फसल के लिए प्रकृति का आभार व्यक्त करने का अवसर देता है।
  • खुशी और समृद्धि: ओणम के दौरान घरों में खुशी, उत्साह और समृद्धि का माहौल रहता है।
  • राजा महाबलि के मूल्यों का स्मरण: यह त्योहार राजा महाबलि के न्याय, दानशीलता और समानता के मूल्यों को याद दिलाता है।

ओणम केरल का एक ऐसा त्योहार है जो न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक समृद्धि और प्रकृति के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है। यह त्योहार अपने रंग-बिरंगे आयोजनों, स्वादिष्ट व्यंजनों और पारंपरिक कलाओं के साथ सभी के लिए खुशियाँ और उत्साह लेकर आता है।

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