Karwa Chauth 2023: Date & Time, Puja Vidhi and Shubh Muhurat

करवा चौथ 2023
करवा चौथ
1
नवंबर, 2023 (बुधवार)

करवा चौथ मुहूर्त्त:

करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 17:36:24 से 18:42:46 तक

अवधि: 1 घंटे 6 मिनट

अपराहन मुहूर्त: 13:12:47 से 15:27:59 तक

करवा चौथ, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, एक बड़ा ही धार्मिक और परंपरागत त्योहार है, जो भारत के उत्तरी हिस्सों में ख़ास धूमधाम से मनाया जाता है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा उनके पति की लम्बी और सुखमय जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। इसी दिन, अविवाहित स्त्रियाँ भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

करवा चौथ 2023 की तारीख:

करवा चौथ 2023 को 1 नवंबर , सोमवार को मनाया जाएगा। यह पूरे उत्तर भारत में समृद्धि, सुख, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है।

  • करवा चौथ का महत्व: करवा चौथ का त्योहार हिन्दू संस्कृति में बहुत ही महत्वपूर्ण है, और इसे भारतीय समाज में गहरे भावनाओं और परंपराओं का प्रतीक माना जाता है। इस दिन, पत्नियाँ अपने पतियों की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं और उनकी ख़ुशियों की कामना करती हैं।

  • Karwa Chauth 2023 Date and Time

    Event Karwa Chauth 2023 Date Karak Chaturthi Pooja Time 2023
    कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रारम्भ 31 October 2023 9:30 PM
    कार्तिक कृष्ण पक्ष समाप्त 1 November 2023 9:19 PM
    करवा चौथ व्रत का समय 1 November 2023 6:36 AM to 8:26 PM
    करवा चौथ पूजा का समय 1 November 2023 5:36 PM to 6:42 PM
    चंद्रोदय का समय 1 November 2023 8:26 PM

    करवा चौथ कथा:

    करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया। रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया। उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी। अपनी सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गयी। सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला - व्रत तोड़ लो; चांद निकल आया है। बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आयी और उसने खाने का निवाला खा लिया। निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसका पति पुनः जीवित हो गया।

    करवा चौथ व्रत की पूजा-विधि: जानें इस पावन पर्व की सही विधि

    करवा चौथ, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, एक महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण और प्रिय व्रत है, जिसमें वे अपने पति की दीर्घायु, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस पर्व की पूजा-विधि निम्नलिखित तरीके से की जाती है:

  • स्नान और सफाई: सुबह सूर्योदय से पहले स्नान और शुद्धिकरण करें। इसके बाद, घर की सफाई करें ताकि आगमनेय देवताओं का स्वागत अच्छी तरह से किया जा सके।
  • पूजा का संकल्प: सास के साथ सुबह के समय भोजन करें और फिर भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।
  • अनिवार्य उपवास: इस व्रत में निर्जला उपवास का पालन करें, यानी केवल सूर्यास्त के बाद चन्द्रमा के दर्शन के बाद ही उपवास तोड़ें।
  • व्रत की समाग्री: पूजा के लिए एक मिट्टी की वेदी पर 10 से 13 करवे रखें। पूजा सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर, और पूजा की थाली शामिल करें।
  • पूजा का आयोजन: संध्या के समय, एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें, जिसमें 10 से 13 करवे रखे जाते हैं
  • .करवा चौथ कथा: पूजा के दौरान, करवा चौथ कथा को सुनें या सुनाएँ, जिसमें करवा चौथ के व्रत की महत्वपूर्ण कहानी होती है।
  • चन्द्र दर्शन और अर्घ्य: सूरज अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करें, और उसके साथ ही चन्द्रमा की पूजा करें। इसके बाद, अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा को पूरा करें।
  • ससुराल के आशीर्वाद: अपने पति के दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना के साथ बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रूपये, आदि देकर उनका आशीर्वाद लें।

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