कजरी तीज 2025
भारतीय संस्कृति में त्योहारों का विशेष महत्व है, और इन्हीं में से एक है **कजरी तीज**। यह पर्व पति-पत्नी के अटूट प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इसे **बड़ी तीज, सातुड़ी तीज** या **हरितालिका तीज** भी कहा जाता है।
साल 2025 में, कजरी तीज का पावन पर्व **मंगलवार, 12 अगस्त** को मनाया जाएगा। यह दिन सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करने वाली महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत रखकर देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
आइए, इस विशेष पर्व के महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
तृतीया तिथि प्रारंभ 11 अगस्त 2025 को रात्रि 10 बजकर 55 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त 12 अगस्त 2025 को रात्रि 10 बजकर 40 मिनट तक
कजरी तीज का महत्व
“कजरी” शब्द का अर्थ है “नीम”। इस दिन नीम की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। यह पर्व मुख्य रूप से अविवाहित कन्याओं द्वारा अच्छे वर की कामना और विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।
- अखंड सौभाग्य: महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए निर्जल व्रत रखती हैं।
- सुखी वैवाहिक जीवन: यह व्रत दांपत्य जीवन में प्रेम, सद्भाव और खुशहाली लाता है।
- संतान सुख: ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान प्राप्ति की मनोकामना भी पूर्ण होती है।
- कुंवारी कन्याओं को वर प्राप्ति: अविवाहित कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
- नकारात्मकता का नाश: व्रत और पूजा से जीवन से सभी नकारात्मकताएँ दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कजरी तीज की पूजा विधि
कजरी तीज का व्रत अत्यंत विधि-विधान और श्रद्धा के साथ किया जाता है:
- सुबह का स्नान और संकल्प: तीज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद “मम उमामहेश्वरप्रीत्यर्थं कजरीतीजव्रतं करिष्ये” मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- पूजा की तैयारी: पूजा के लिए घर के आंगन या किसी स्वच्छ स्थान पर मिट्टी से या गोबर से एक वेदी बनाएं। इस पर नीम की टहनी (कजरी), भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। कुछ स्थानों पर गाय के गोबर से दीवार को लीपकर उस पर नीम के पत्ते लगाकर व्रत की कथा को चित्रित भी किया जाता है।
- पूजा सामग्री: पूजा में मुख्य रूप से सत्तू, चूरमा, फल, फूल, दीप, धूप, रोली, अक्षत, मेहंदी, सिंदूर, चूड़ियां, चुनरी, मिठाई (विशेषकर मीठी पूड़ियां और घेवर) आदि शामिल करें।
- मिट्टी का तालाब: एक छोटा सा तालाब जैसा स्वरूप बनाएं और उसमें जल भरकर दीपक प्रज्वलित करें। यह दीपक रात भर जलता रहना चाहिए।
- कजरी का पूजन: नीम की टहनी को लाल वस्त्र में लपेटकर उस पर घी का दीपक जलाएं और चंदन, रोली, अक्षत से पूजन करें।
- शिव-पार्वती पूजा: भगवान शिव और माता पार्वती को भोग लगाएं, वस्त्र अर्पित करें और उनकी आरती करें। गणेश जी की पूजा भी करें।
- कथा श्रवण: कजरी तीज की व्रत कथा ध्यानपूर्वक सुनें या पढ़ें। कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
- चंद्रोदय और अर्घ्य: शाम को चंद्रमा के दर्शन करें और उन्हें जल, दूध और रोली मिलाकर अर्घ्य दें।
- व्रत का पारण: चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद सत्तू, फल और मीठी पूड़ियों का सेवन करके व्रत का पारण करें। कुछ स्थानों पर महिलाएं दिन भर निर्जल व्रत रखती हैं और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न ग्रहण करती हैं।
कजरी तीज व्रत कथा
कजरी तीज से जुड़ी एक प्रचलित पौराणिक कथा इस प्रकार है:
एक नगर में एक गरीब ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का निधन हो चुका था और वह अपने छोटे बच्चे के साथ बहुत मुश्किल से जीवन यापन कर रही थी। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आने वाली थी, जिसे कजरी तीज के रूप में मनाया जाता है। ब्राह्मणी ने सोचा कि क्यों न इस दिन मैं भी व्रत रखूं और भगवान से अपने जीवन की समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करूं।
उस दिन उसके घर में खाने को कुछ भी नहीं था। उसका बच्चा भूख से बिलख रहा था। ब्राह्मणी पड़ोस के एक साहूकार के पास गई और उससे कुछ सत्तू या पैसे मांगे। साहूकार ने उसे इनकार कर दिया। निराश होकर ब्राह्मणी अपने घर लौट आई।
उसने सोचा कि आज तीज का दिन है, मैं अपने बेटे को भूखा नहीं रख सकती। उसने एक योजना बनाई। वह साहूकार के खेत में गई, जहां बहुत सारे चने के पौधे लगे हुए थे। उसने वहाँ से चुपचाप कुछ चने तोड़ लिए और उन्हें भूनकर सत्तू बना लिया। इसके बाद उसने चुपके से एक गाय का दूध भी निकाल लिया और उस दूध से मीठी पूड़ियां बनाईं।
रात को उसने भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की, उन्हें सत्तू और पूड़ियों का भोग लगाया और अपने बेटे के साथ भोजन किया। उधर, साहूकार को जब अपने खेत से चने और घर से दूध चोरी होने का पता चला, तो वह बहुत क्रोधित हुआ। उसने अपनी पत्नी से कहा कि वह जाकर पता लगाए कि यह किसने किया है।
जब साहूकार की पत्नी ने ब्राह्मणी के घर का दरवाजा खटखटाया, तो ब्राह्मणी डर गई। उसने सोचा कि अब साहूकार उसे दंड देगा। साहूकार की पत्नी ने ब्राह्मणी से पूछा, “तुमने मेरे खेत से चने और मेरे घर से दूध क्यों चुराया?”
ब्राह्मणी ने अपनी सारी बात बताई कि कैसे उसके बेटे को भूख लगी थी और तीज के दिन वह उसे भूखा नहीं रख सकती थी। उसने यह भी बताया कि कैसे उसने चोरी किए गए सामान से भगवान को भोग लगाया है।
साहूकार की पत्नी यह सब सुनकर आश्चर्यचकित रह गई। उसे ब्राह्मणी की दशा पर दया आ गई। उसने सोचा कि इस महिला ने इतनी मुश्किल में भी भगवान का व्रत रखा और उन्हें भोग लगाया। यह सुनकर साहूकार और उसकी पत्नी बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने ब्राह्मणी को क्षमा कर दिया और उसे ढेर सारा धन-धान्य दिया।
कथा के अनुसार, उसी दिन से ब्राह्मणी के जीवन में सुख-समृद्धि आ गई। यह कथा बताती है कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति से रखा गया व्रत कभी व्यर्थ नहीं जाता, और भगवान सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
यह कजरी तीज आपके और आपके परिवार के जीवन में अपार खुशियाँ, प्रेम और समृद्धि लेकर आए।
ॐ नमः शिवाय!
भारत में मनाई जाने वाली प्रमुख तीज और उनका महत्व
हरियाली तीज
महिना
- यह मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियाँ पहनती हैं।
- वे माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं।
- यह प्रकृति से सामंजस्य और समृद्धि का उत्सव है।
प्रमुख क्षेत्र
- हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश।
- राजस्थान की राजधानी जयपुर में इसके उत्सव बड़े पैमाने पर मनाए जाते हैं।
कजरी तीज
महिना
- यह व्रत अविवाहित और विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- इस दिन नीमड़ी माता की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव व माता पार्वती की आराधना कर पति की लंबी उम्र एवं अविवाहित महिलाओं द्वारा अच्छे वर की कामना की जाती है।
- इस दिन रात में चाँद को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ा जाता है।
प्रमुख क्षेत्र
- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में इसका विशेष प्रचलन है।
हरतालिका तीज
महिना
- यह तीनों तीज में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- इस दिन महिलाएं बिना अन्न जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करके अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।
- इस व्रत को ‘निर्जला व्रत’ भी कहा जाता है।
- मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह कठोर व्रत किया था।
प्रमुख क्षेत्र
- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में यह प्रचलित है।
तीज के प्रमुख लोक गीत
तीज के त्योहार पर विभिन्न क्षेत्रों में कई पारंपरिक लोक गीत गाए जाते हैं, जो इस उत्सव के उल्लास और परंपराओं को दर्शाते हैं। ये गीत अक्सर माता पार्वती और भगवान शिव के प्रेम, नवविवाहित महिलाओं के मायके जाने, झूले झूलने और सावन के मौसम की सुंदरता पर आधारित होते हैं।
यहाँ कुछ प्रमुख तीज के लोक गीत दिए गए हैं:
1. झूला गीत (Jhula Geet)
- तीज का त्योहार झूलों के बिना अधूरा है। महिलाएं पेड़ों पर झूले डालकर गाती हैं। इन गीतों में अक्सर सावन की फुहारों, हरियाली और पिया (पति) के आने का जिक्र होता है।
- उदाहरण बोल:
- “सावन आयो री, सखी सावन आयो री, मेरा पिया घर आयो री…”
- “झूला तो पड़ गए अमुआ की डाल, झूल रही सखियाँ, सावन आयो री…”
- “रिमझिम बरसे मेघा, भीगे चुनरिया, लागे मोहे सावन मनभावन…”
2. मायके से जुड़े गीत (Mayke Se Jude Geet)
- नवविवाहित महिलाएं तीज पर मायके जाती हैं, और इस खुशी को दर्शाने वाले गीत भी खूब गाए जाते हैं। इनमें मायके की यादें, भाई-भाभी से मिलने की खुशी और ससुराल में पति के प्रति प्रेम का वर्णन होता है।
- उदाहरण बोल:
- “म्हारो पिया घर आयो, म्हारी चुनर लहराई…” (यह गीत सीधे तौर पर तीज का नहीं है, लेकिन तीज के उल्लास को दर्शाता है)
- “कोयलिया बोले डाल-डाल, पिया बिना मोरा जिया उदास…” (विरह और मिलन की कामना)
- “मेहंदी राचण वाली, साजन घर आवै री…”
3. माता पार्वती और शिवजी के भजन/गीत
- तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, इसलिए उनके गुणगान में भी कई गीत होते हैं, जिनमें उनकी जोड़ी, उनके प्रेम और उनके आशीर्वाद का बखान होता है।
- उदाहरण बोल:
- “शिवजी ब्याहने चले, पार्वती संग ले चले…”
- “गौरा रानी सुनो, भोले बाबा की महिमा अपरंपार…”
- “शिव शंभू डमरू वाले, गौरा रानी के रखवाले…”
4. मेहंदी और श्रृंगार से जुड़े गीत
- तीज पर महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इन श्रृंगारों का वर्णन करने वाले गीत भी बहुत लोकप्रिय हैं।
- उदाहरण बोल:
- “मेहंदी तो लागी प्यारी, पिया का नाम लिखाए…”
- “चूड़ी खनकी, पायल बाजी, साजन घर आए…”
5. क्षेत्रीय विविधता
- राजस्थानी गीत: राजस्थान में घूमर और कालबेलिया शैली के गीत तीज पर विशेष रूप से प्रचलित हैं, जिनमें “घूमर” और “पधारो म्हारे देस” जैसे गीतों की तीज पर खास प्रस्तुतियाँ होती हैं।
- उत्तर प्रदेश/बिहार: इन क्षेत्रों में सोहर, चैती, फाग जैसे गीतों की अपनी क्षेत्रीय विविधता है, जो तीज के अवसर पर भी गाई जाती हैं।
ये गीत तीज के त्योहार को जीवंत बनाते हैं और भारतीय संस्कृति की समृद्ध लोक परंपरा का अभिन्न अंग हैं।
तीज पर पत्नी के लिए उपहार के विचार
तीज का त्योहार पति-पत्नी के प्रेम और अटूट बंधन का प्रतीक है। इस दिन पति अपनी पत्नी को प्रेम और सम्मान व्यक्त करने के लिए उपहार देते हैं। यहाँ कुछ उपहारों के विचार दिए गए हैं जो पति अपनी पत्नी को तीज पर दे सकते हैं, जो परंपरा और आधुनिकता दोनों का मिश्रण हैं:
1. पारंपरिक श्रृंगार सामग्री
- नई साड़ी या सूट: तीज पर महिलाएं नए और पारंपरिक परिधान पहनना पसंद करती हैं। आप उनकी पसंद के रंग (खासकर हरे, लाल, पीले) और डिज़ाइन की साड़ी या सूट दे सकते हैं।
- आभूषण: सोने, चाँदी या आर्टिफिशियल ज्वेलरी, जैसे चूड़ियाँ, झुमके, हार, या एक सुंदर पायल। यह उनके श्रृंगार में चार चांद लगा देगा।
- मेहंदी का सेट: एक अच्छी क्वालिटी की मेहंदी किट और मेहंदी लगाने वाले को बुलाने का इंतजाम, क्योंकि तीज पर मेहंदी का विशेष महत्व है।
- सोलह श्रृंगार किट: एक बॉक्स जिसमें बिंदी, सिंदूर, चूड़ियाँ, गजरा, पायल, मंगलसूत्र (यदि आवश्यक हो) आदि सभी सोलह श्रृंगार की चीजें हों।
2. व्यक्तिगत और भावनात्मक उपहार
- चित्र या फोटो फ्रेम: आप दोनों की कोई खूबसूरत तस्वीर वाला फ्रेम या एक कोलाज जिसमें आपकी पुरानी यादें हों।
- हस्तलिखित पत्र या कविता: अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त करने वाला एक हाथ से लिखा हुआ पत्र या उनके लिए लिखी गई एक कविता, यह बहुत व्यक्तिगत और यादगार होता है।
- स्पा वाउचर या वेलनेस पैकेज: व्रत के बाद उन्हें आराम करने और तरोताजा होने के लिए एक स्पा या वेलनेस सेशन का वाउचर दें।
- पसंदीदा किताबें या पत्रिका सदस्यता: यदि उन्हें पढ़ने का शौक है, तो उनकी पसंदीदा लेखक की किताब या किसी पत्रिका की वार्षिक सदस्यता दे सकते हैं।
3. व्यावहारिक और उपयोगी उपहार
- रसोई गैजेट्स: यदि उन्हें खाना बनाना पसंद है और उन्हें किसी नए किचन अप्लायंस की जरूरत है, तो वह एक एक अच्छा विकल्प हो सकता है (लेकिन सुनिश्चित करें कि उन्हें इसकी इच्छा हो, अन्यथा यह गलत संदेश दे सकता है!)
- स्मार्टवॉच या फिटनेस ट्रैकर: यदि वे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं, तो यह एक बढ़िया उपहार हो सकता है।
- पसंदीदा परफ्यूम या सौंदर्य उत्पाद: उनकी पसंदीदा खुशबू या उच्च गुणवत्ता वाले सौंदर्य उत्पाद।
- हैंडबैग या वॉलेट: एक स्टाइलिश हैंडबैग या उनकी पसंद का वॉलेट।
4. अनुभव-आधारित उपहार
- रात के खाने की डेट: तीज का व्रत खोलने के बाद उनके पसंदीदा रेस्टोरेंट में एक विशेष डिनर डेट प्लान करें।
- वीकेंड गेटअवे: यदि संभव हो, तो तीज के आसपास एक छोटे से वीकेंड गेटअवे की योजना बनाएं ताकि वे आराम कर सकें और साथ में समय बिता सकें।
- कुकिंग या हॉबी क्लास: यदि उनकी कोई विशेष रुचि है, जैसे कुकिंग, पेंटिंग, बागवानी, तो उस विषय में एक क्लास या वर्कशॉप का पंजीकरण करवा सकते हैं।
5. समय और ध्यान
- घर के कामों में मदद: तीज के दिन और उसके बाद भी घर के कामों में उनकी मदद करें, ताकि वे व्रत और त्योहार का आनंद ले सकें।
- क्वालिटी टाइम: सबसे महत्वपूर्ण उपहार आपका समय और ध्यान है। उनके साथ बैठें, बातें करें, व्रत कथा सुनें और बस उनके साथ रहें।
उपहार का चयन करते समय अपनी पत्नी की व्यक्तिगत पसंद, उनकी ज़रूरतें और उनकी जीवनशैली का ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण है। जो उपहार उनकी भावनाओं से जुड़े हों, वे हमेशा सबसे खास होते हैं।
भगवान शिव और माता पार्वती के अन्य प्रमुख व्रत
भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित कई व्रत और त्योहार भारतीय परंपरा में मनाए जाते हैं, जो दांपत्य जीवन की खुशहाली, संतान प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए रखे जाते हैं। तीज के अतिरिक्त कुछ प्रमुख व्रत और त्योहार इस प्रकार हैं:
1. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri)
- कब मनाया जाता है: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को।
- महत्व: यह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की रात मानी जाती है। यह शिव भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शिव लिंग पर जलाभिषेक करते हैं, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि चढ़ाते हैं, और रात भर जागरण कर शिवजी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिवजी तांडव नृत्य करते हैं।
2. सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar Vrat)
- कब मनाया जाता है: श्रावण (सावन) मास के प्रत्येक सोमवार को।
- महत्व: सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस महीने में सोमवार का व्रत रखने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की कामना के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए यह व्रत रखती हैं।
3. प्रदोष व्रत 2025
- कब मनाया जाता है: हर महीने की त्रयोदशी तिथि को। यह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आता है।
- महत्व: यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) शिव पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत रखने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह भी पुत्र प्राप्ति और रोगों से मुक्ति के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
4. सोमवार व्रत (सामान्य सोमवार व्रत)
- कब मनाया जाता है: प्रत्येक सोमवार को।
- महत्व: सावन के सोमवार व्रत की तरह ही सामान्य सोमवार व्रत भी भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति के लिए रखा जाता है।
5. गौरी तृतीया या सौभाग्या तृतीया
- कब मनाया जाता है: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को।
- महत्व: यह व्रत विशेष रूप से माता पार्वती को समर्पित है। महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन माता गौरी की विशेष पूजा की जाती है।
6. हरितालिका तीज (Hartalika Teej)
- कब मनाया जाता है: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को।
- महत्व: यह भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती के कठोर तपस्या का प्रतीक है। महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
ये व्रत और त्योहार भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते हैं।