संकष्टी चतुर्थी 2025

संकष्टी चतुर्थी 2025
चतुर्थी व्रत
07
दिसंबर 2025
रविवार
संकष्टी चतुर्थी
संकष्टी चतुर्थी
पूजा मुहूर्त: शाम 05:40 बजे से रात 07:10 बजे तक (लगभग)

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रविवार, 7 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा। इस दिन चंद्रोदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। ‘संकष्टी’ शब्द का अर्थ है ‘संकट से मुक्ति’, और इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है और इसे संकटों को दूर करने वाला माना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व:

  • समस्त बाधाओं का निवारण: इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
  • ज्ञान और बुद्धि: यह व्रत ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  • बच्चों के लिए: इस व्रत को बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए भी रखा जाता है।
  • रविवार की चतुर्थी: जब चतुर्थी तिथि रविवार को पड़ती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

🌟 रविवार की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व:

जब संकष्टी चतुर्थी का व्रत रविवार के दिन आता है, तो इसे ‘रविवासरी चतुर्थी’ कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश के साथ-साथ सूर्य देव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य, मान-सम्मान और सरकारी कार्यों में सफलता के लिए फलदायी माना जाता है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और मंगल ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है।

📜 संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों, गणेश और कार्तिकेय, से कहा कि जो सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा, वही सबसे ज्ञानी और श्रेष्ठ माना जाएगा।

कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े। वहीं, गणेश जी ने अपने माता-पिता के चारों ओर सात बार परिक्रमा की। जब कार्तिकेय वापस आए, तो उन्होंने देखा कि गणेश जी पहले ही वहाँ मौजूद हैं।

इस पर कार्तिकेय ने आश्चर्य से पूछा, “भाई, तुम इतनी जल्दी पृथ्वी का चक्कर कैसे लगा आए?” गणेश जी ने मुस्कराते हुए कहा, “माता-पिता ही मेरे लिए पूरी पृथ्वी हैं।” गणेश जी के इस उत्तर से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी इस तिथि पर तुम्हारी पूजा और व्रत करेगा, उसके जीवन के सभी संकट दूर हो जाएंगे और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इसी कारण इस तिथि को ‘संकष्टी चतुर्थी’ कहा जाता है।

🙏 संकष्टी चतुर्थी के अनुष्ठान और पूजा विधि:

संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। यहाँ इसकी मुख्य पूजा विधि दी गई है:

  1. व्रत का संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  2. दिन भर का उपवास: दिन भर निराहार रहें या केवल फलाहार का सेवन करें। व्रत के दौरान सेंधा नमक का उपयोग किया जा सकता है।
  3. शाम की पूजा: शाम को, चंद्रोदय से पहले पूजा की तैयारी करें।
    • पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
    • गणेश जी को फूल, दूर्वा, मोदक, लड्डू और अन्य प्रसाद अर्पित करें।
    • ‘ॐ गणेशाय नमः’ या ‘गजाननं भूतगणादिसेवितं’ जैसे मंत्रों का जाप करें।
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
    • गणेश आरती करें।
  4. चंद्रोदय के बाद: चंद्रोदय होने पर, चंद्रमा को जल और दूध का अर्घ्य दें। इसके बाद ही व्रत का पारण करें।

💡 व्रत के दौरान क्या खाएं और क्या न खाएं:

  • क्या खाएं:
    • फल, मेवे और दूध।
    • मूंगफली, आलू और शकरकंद से बने व्यंजन।
    • साबूदाना खिचड़ी या खीर।
    • कुट्टू का आटा या सिंघाड़े का आटा।
  • क्या न खाएं:
    • अन्न (गेहूं, चावल, दाल)।
    • साधारण नमक।
    • प्याज और लहसुन।
    • मांस-मदिरा।

💡 संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:

व्रत के नियम:

  • क्या करें:
    • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
    • व्रत का संकल्प लें।
    • दिन भर भगवान गणेश का ध्यान करें।
    • शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें।
    • चंद्रोदय के बाद ही भोजन करें।
  • क्या न करें:
    • व्रत के दौरान किसी का अनादर न करें।
    • झगड़े और क्रोध से बचें।
    • चावल, दाल और प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
    • मांस-मदिरा का सेवन न करें।

विशेष नाम और उनके लाभ:

जिस दिन चतुर्थी पड़ती है, उसके अनुसार इसका विशेष नाम और लाभ होता है:

  • अंगारकी चतुर्थी (मंगलवार): कर्ज से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय के लिए।
  • बुधवारी चतुर्थी (बुधवार): धन-संपदा और बुद्धि के लिए।
  • बृहस्पतिवारी चतुर्थी (गुरुवार): ज्ञान और शिक्षा के लिए।
  • शुक्रवारी चतुर्थी (शुक्रवार): सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए।
  • शनिवारी चतुर्थी (शनिवार): नौकरी और व्यापार में सफलता के लिए।
  • रविवासरी चतुर्थी (रविवार): अच्छी सेहत और मान-सम्मान के लिए।

चंद्रमा का महत्व:

संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है। चंद्रोदय के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।

📈 संकष्टी चतुर्थी व्रत के लाभ:

  • समस्त संकटों से मुक्ति: यह व्रत जीवन में आने वाले सभी संकटों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
  • सुख-समृद्धि: इस व्रत को करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • ज्ञान की प्राप्ति: भगवान गणेश को ज्ञान का देवता माना जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
  • बच्चों की उन्नति: माता-पिता अपने बच्चों के लिए यह व्रत रखते हैं ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो और वे हर क्षेत्र में सफल हों।

🌸 भगवान गणेश के अन्य प्रमुख व्रत:

भगवान गणेश को समर्पित कुछ अन्य प्रमुख व्रत और त्योहार:

  • गणेश चतुर्थी: भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है। यह भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • विनायक चतुर्थी: हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत रखा जाता है। यह भी संकटों को दूर करने वाला माना जाता है।
  • गणेशोत्सव: यह 10 दिनों का त्योहार है जो गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है।

🏛️ भगवान गणेश के प्रमुख मंदिर:

  • सिद्धिविनायक मंदिर (मुंबई): यह भारत के सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है।
  • श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर (पुणे): यह महाराष्ट्र का एक और प्रसिद्ध गणेश मंदिर है।
  • गणपतिपुले मंदिर (महाराष्ट्र): यह कोंकण तट पर स्थित एक स्वयंभू गणेश मंदिर है।

🕉️ भगवान गणेश के प्रमुख नाम:

  • गजानन: हाथी के मुख वाले।
  • विनायक: सभी बाधाओं को दूर करने वाले।
  • एकदंत: एक दाँत वाले।
  • लंबोदर: बड़े पेट वाले।
  • गणपति: गणों के स्वामी।
  • वक्रतुंड: घुमावदार सूंड वाले।
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