घटस्थापना 2025
नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से होगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त इसी दिन रहेगा। यह नौ दिनों तक चलने वाली पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
✨ घटस्थापना का महत्व
घटस्थापना का अर्थ है एक पवित्र कलश की स्थापना करना, जो ब्रह्मांड और देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस कलश में सभी देवी-देवता और पवित्र नदियाँ वास करती हैं। घटस्थापना के साथ ही, माँ दुर्गा से नौ दिनों तक घर में विराजमान रहने और भक्तों के कष्ट दूर करने का आह्वान किया जाता है।
यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है। इस दौरान कलश में जौ बोना नई शुरुआत और अच्छी फसल का संकेत है, जबकि जल से भरा कलश जीवन और उर्वरता का प्रतीक है।
📜 घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
घटस्थापना के लिए आपको ये चीजें एकत्रित करनी होंगी:
- मिट्टी का कलश: मिट्टी का साफ और नया कलश।
- मिट्टी का बर्तन: एक चौड़ा बर्तन जिसमें जौ बोया जा सके।
- गंगाजल या शुद्ध जल: कलश में भरने के लिए।
- सप्तधान्य: सात तरह के अनाज (जौ, तिल, धान, मूंग, चना, चावल, और गेहूँ)।
- पवित्र मिट्टी: कलश के नीचे रखने और जौ बोने के लिए।
- अशोक या आम के पत्ते: 5, 7 या 9 पत्ते।
- नारियल: एक पानी वाला नारियल।
- लाल रंग का कपड़ा या चुनरी: नारियल पर लपेटने के लिए।
- मोली या कलावा: कलश पर बाँधने के लिए।
- फूल और माला: सजावट के लिए।
- दूर्वा घास: पूजा के लिए।
- फल, मिठाई, और पंचामृत: प्रसाद के लिए।
🙏 घटस्थापना की सही पूजा विधि
घटस्थापना करने के लिए इन सरल चरणों का पालन करें:
- स्थान की सफाई: सबसे पहले, घर के पूजा स्थल को साफ करें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ।
- जौ बोना: मिट्टी के चौड़े बर्तन में पवित्र मिट्टी रखें और उसमें सप्तधान्य या जौ के बीज फैला दें। उस पर थोड़ा पानी छिड़कें।
- कलश तैयार करें: कलश को गंगाजल या शुद्ध जल से भरें। इसमें थोड़ा अक्षत, दूर्वा घास, एक सुपारी और कुछ सिक्के डालें।
- कलश पर पत्ते और कलावा: कलश के मुख पर अशोक या आम के 5 पत्ते रखें। कलश के चारों ओर मोली या कलावा बाँधें।
- नारियल की तैयारी: नारियल पर लाल कपड़ा लपेटें और उसे मोली से बाँधें।
- कलश स्थापना: कलश को जौ वाले बर्तन के ठीक बीच में स्थापित करें। फिर नारियल को कलश के मुख पर रखें।
- आवाहन और पूजा: अब माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करें। कलश पर तिलक लगाएँ, फूल और माला अर्पित करें।
- आरती और प्रसाद: पूजा के बाद, माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद चढ़ाकर सभी को वितरित करें।
💡 ध्यान रखने योग्य बातें
- घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें।
- कलश को पूजा स्थल पर ही स्थापित करें, जहाँ से उसे नौ दिनों तक न हिलाया जाए।
- नौ दिनों तक कलश में बोए गए जौ में नियमित रूप से पानी डालें।
- पूजा के दौरान मन को शांत और पवित्र रखें।
🌟 नवरात्रि का महत्व और नौ देवियों के रूप
नवरात्रि, जिसका अर्थ है ‘नौ रातें’, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और शक्ति की आराधना का प्रतीक है। हर दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है, जो अलग-अलग शक्तियों और गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
नवरात्रि के नौ रूप:
- शैलपुत्री: पर्वतराज हिमालय की पुत्री, देवी दुर्गा का पहला स्वरूप।
- ब्रह्मचारिणी: तपस्या और त्याग की देवी।
- चंद्रघंटा: शांति और कल्याण की देवी।
- कूष्मांडा: ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी।
- स्कंदमाता: भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता।
- कात्यायनी: महर्षि कात्यायन की पुत्री, शक्ति का उग्र रूप।
- कालरात्रि: काल का नाश करने वाली देवी।
- महागौरी: पवित्रता और शांति की देवी।
- सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी।
🌱 जौ बोने का महत्व
घटस्थापना के समय जौ बोना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। जौ को सृष्टि के पहले अनाज के रूप में माना जाता है और यह समृद्धि, अन्न और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। नवरात्रि में जौ बोकर, भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि आने वाले वर्ष में उनके जीवन में भी उसी तरह से समृद्धि और वृद्धि हो, जैसे जौ के पौधे बढ़ते हैं। इन नौ दिनों में जौ का तेज़ी से बढ़ना एक शुभ संकेत माना जाता है, जबकि इसका सूखना या धीमी गति से बढ़ना भविष्य में आने वाली परेशानियों का संकेत दे सकता है।
—🏹 दशहरा और विजयादशमी
नवरात्रि का समापन दसवें दिन **विजयादशमी** या **दशहरा** के साथ होता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था और माँ दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। दशहरा के दिन दुर्गा विसर्जन किया जाता है और रामलीला का मंचन किया जाता है। यह दिन हमें यह संदेश देता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है।
—📜 नवरात्रि व्रत के नियम
नवरात्रि में व्रत रखने वाले भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके:
- सात्विक भोजन: व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। केवल सात्विक भोजन जैसे कुट्टू, सिंघाड़ा, साबूदाना, फल, और कुछ विशेष सब्जियां ही खाई जाती हैं।
- लहसुन-प्याज का परहेज: व्रत के नौ दिनों तक लहसुन और प्याज का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
- ब्रह्मचर्य का पालन: इन नौ दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- स्वच्छता: व्रत रखने वाले व्यक्ति को रोज सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- नकारात्मक विचार से बचें: मन में किसी के प्रति द्वेष, क्रोध, या बुरे विचार नहीं लाने चाहिए।
👧 कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन **कन्या पूजन** का विशेष महत्व है। इस दिन नौ छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनकी पूजा की जाती है।
कन्या पूजन में, कन्याओं के पैरों को धोया जाता है, उन्हें भोजन कराया जाता है (हलवा, पूरी, और चना), और उन्हें दक्षिणा या उपहार दिए जाते हैं। मान्यता है कि कन्याओं की पूजा करने से माँ दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
—⚔️ नवरात्रि की पौराणिक कथा
नवरात्रि का पर्व माँ दुर्गा और महिषासुर नामक राक्षस के बीच हुए युद्ध से जुड़ा है। महिषासुर ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि कोई भी पुरुष या देवता उसे हरा नहीं सकता। इस वरदान के अहंकार में उसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया। सभी देवता परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए।
तब, त्रिदेवों और अन्य देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक दिव्य शक्ति का सृजन किया, जो देवी दुर्गा थीं। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इस विजय को **विजयादशमी** के रूप में मनाया जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि को शक्ति की आराधना का पर्व माना जाता है।
—🎵 माँ दुर्गा की आरती
नवरात्रि की पूजा के बाद माँ दुर्गा की आरती जरूर करनी चाहिए। आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निस दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टिको मृग मद को। उज्जवल से दो नैना, चंद्रबदन नीको॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे। रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजे॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी॥
कानन कुण्डल शोभित, नासग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥
अंबे जी की आरती, जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपत्ति पावे॥
—🏛️ प्रमुख नवरात्रि मंदिर
भारत में नवरात्रि के दौरान कई प्रसिद्ध मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और आयोजन होते हैं। कुछ प्रमुख मंदिरों में:
- **वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू):** यहाँ नवरात्रि के दौरान भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
- **ज्वालामुखी मंदिर (हिमाचल प्रदेश):** यह मंदिर अपनी नौ ज्वालाओं के लिए प्रसिद्ध है।
- **नैना देवी मंदिर (हिमाचल प्रदेश):** यह एक प्रमुख शक्तिपीठ है जहाँ नवरात्रि में उत्सव होता है।
- **अम्बाजी मंदिर (गुजरात):** गुजरात में नवरात्रि का उत्सव बहुत भव्य होता है।
- **कामाख्या मंदिर (असम):** यह तांत्रिक पूजा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- नवरात्रि में कौन सा रंग शुभ होता है?
नवरात्रि में हर दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा होती है और हर दिन एक अलग रंग का महत्व होता है। आमतौर पर लाल, पीला, हरा जैसे चमकीले रंग शुभ माने जाते हैं। - क्या नवरात्रि में बाल कटवा सकते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। - नवरात्रि में क्या खाना चाहिए?
नवरात्रि में व्रत रखने वाले लोग सात्विक भोजन करते हैं। इसमें कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, फल, और कुछ विशेष सब्जियां शामिल होती हैं। लहसुन और प्याज का सेवन नहीं किया जाता है। - घटस्थापना के कलश को कब हटाना चाहिए?
घटस्थापना का कलश दशमी तिथि को विसर्जन के बाद या पूजा समाप्त होने के बाद हटाया जा सकता है। जौ को किसी पवित्र नदी या जल स्रोत में प्रवाहित किया जाता है।
नवरात्रि में घटस्थापना के साथ माँ दुर्गा का आगमन होता है। यह अनुष्ठान आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए।
आपको और आपके परिवार को घटस्थापना 2025 की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!