इन्दिरा एकादशी व्रत 2025

इन्दिरा एकादशी 2025
इन्दिरा एकादशी
17
सितंबर 2025
बुधवार
भगवान विष्णु और पितृ तर्पण
इन्दिरा एकादशी
एकादशी तिथि प्रारंभ17 सितंबर 2025, सुबह 08:30 बजे

एकादशी तिथि समाप्त18 सितंबर 2025, सुबह 07:15 बजे

पारण का समय (व्रत खोलने का समय)18 सितंबर 2025, सुबह 07:15 बजे से सुबह 09:30 बजे तक

यह व्रत पितृ पक्ष के दौरान आता है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी पितृ पक्ष के दौरान आती है, इसलिए इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है। आइए, जानते हैं इंदिरा एकादशी के महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा के बारे में।

🙏 इंदिरा एकादशी का महत्व

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एकादशी पितरों के लिए होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों को शांति मिलती है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह एकादशी पितृ पक्ष में आने के कारण श्राद्ध और तर्पण के समान पुण्यदायी मानी जाती है।

📜 पूजा विधि

इंदिरा एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है और द्वादशी तिथि तक चलता है।

  1. दशमी तिथि को: दशमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। एक समय सात्विक भोजन करें और शाम को भोजन न करें।
  2. एकादशी के दिन: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. पूजा सामग्री: भगवान विष्णु को तुलसी दल, फल, फूल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), धूप और दीपक अर्पित करें।
  4. श्राद्ध और तर्पण: इस दिन पितरों के निमित्त श्रद्धापूर्वक श्राद्ध और तर्पण करें। संभव हो तो किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
  5. मंत्र जाप: एकादशी के दिन **”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”** मंत्र का जाप करें और इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
  6. द्वादशी को पारण: द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें। व्रत खोलने से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें और दान-पुण्य करें।

📖 इंदिरा एकादशी की पौराणिक कथा

पद्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नाम की एक नगरी में राजा इंद्रसेन राज्य करते थे। वे बहुत धार्मिक और पुण्यात्मा थे। एक बार, नारद मुनि उनके दरबार में आए और बताया कि उनके पिता, जो पिछले जन्म में राजा थे, ब्रह्मदोष के कारण यमलोक में हैं। उनके पिता ने नारद मुनि से आग्रह किया था कि वे राजा इंद्रसेन को बताएं कि उनके लिए इंदिरा एकादशी का व्रत करें।

राजा इंद्रसेन ने नारद मुनि की सलाह पर इंदिरा एकादशी का व्रत करने का संकल्प लिया। उन्होंने सभी नियमों का पालन करते हुए व्रत रखा, पूजा-अर्चना की और पितरों के लिए श्राद्ध किया। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे स्वर्ग लोक में चले गए। इस व्रत के फल से राजा इंद्रसेन को भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उनका जीवन सुख-समृद्धि से भर गया।

🎶 भगवान विष्णु के शक्तिशाली मंत्र और उनके लाभ

भगवान विष्णु की पूजा में मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यहां कुछ प्रमुख मंत्र और उनके लाभ दिए गए हैं:

  • विष्णु मूल मंत्र: **ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।** यह भगवान विष्णु का मूल मंत्र है, जिसके जाप से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मन को शांति मिलती है।
  • विष्णु गायत्री मंत्र: **ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।** इस मंत्र का जाप करने से ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि होती है।
  • शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं: यह श्लोक भगवान विष्णु के शांत स्वरूप का वर्णन करता है। इसका जाप करने से घर में सुख-शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा: यह मंत्र भगवान विष्णु के स्वरूप गणेश जी को समर्पित है और धन-समृद्धि के लिए इसका जाप किया जाता है।

🌟 भगवान विष्णु के प्रमुख नाम और उनका अर्थ

भगवान विष्णु को उनके गुणों और कार्यों के आधार पर कई नामों से जाना जाता है। उनके कुछ प्रमुख नाम और उनके गहरे अर्थ इस प्रकार हैं:

  • नारायण: “नर” (मनुष्य) और “अयन” (स्थान)। इसका अर्थ है वह जो सभी मनुष्यों के हृदय में निवास करता है और जो जल में निवास करता है।
  • गोविंद: इसका अर्थ है ‘गाय का पालक’ या ‘इंद्रियों का स्वामी’। यह नाम श्रीकृष्ण के गोकुल में गायों की देखभाल से जुड़ा है।
  • केशव: इसका अर्थ है ‘सुंदर बालों वाला’ या ‘जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतिनिधि हैं’।
  • माधव: इसका अर्थ है ‘ज्ञान के स्वामी’ या ‘जो लक्ष्मी के पति हैं’।
  • वासुदेव: इसका अर्थ है ‘वह जो सभी जगह मौजूद है’ या ‘वासुदेव के पुत्र’ (श्रीकृष्ण)।
  • पद्मनाभ: ‘कमल जिनकी नाभि से निकलता है’। यह नाम उनके उस स्वरूप को दर्शाता है, जिसमें वे शेषनाग पर शयन कर रहे हैं और उनकी नाभि से ब्रह्मा का कमल उत्पन्न होता है।

भगवान विष्णु के अवतार (दशावतार)

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों का वर्णन मिलता है, जिन्हें दशावतार कहा जाता है। ये अवतार धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अलग-अलग युगों में हुए:

  • मत्स्य अवतार: जल प्रलय के समय वेदों की रक्षा करने के लिए।
  • कूर्म अवतार: समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को सहारा देने के लिए।
  • वराह अवतार: पृथ्वी को हिरण्याक्ष से बचाने के लिए।
  • नरसिंह अवतार: हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए।
  • वामन अवतार: राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर तीनों लोकों को मुक्त कराने के लिए।
  • परशुराम अवतार: क्षत्रिय राजाओं के अहंकार का नाश करने के लिए।
  • राम अवतार: रावण का वध कर धर्म की स्थापना के लिए।
  • कृष्ण अवतार: कंस का वध और महाभारत के युद्ध में धर्म की स्थापना के लिए।
  • बुद्ध अवतार: लोगों को अहिंसा और शांति का मार्ग दिखाने के लिए।
  • कल्कि अवतार: कलियुग के अंत में अधर्म का नाश करने के लिए।

📍 भगवान विष्णु के प्रमुख मंदिर

भारत में भगवान विष्णु के कई प्रसिद्ध और पौराणिक मंदिर हैं, जहां भक्तगण दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। ये मंदिर न केवल आस्था के केंद्र हैं, बल्कि इनकी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व भी अद्भुत है।

  • बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड: यह हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। अलकनंदा नदी के किनारे स्थित इस मंदिर में भगवान विष्णु बद्रीनाथ के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है।
  • तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश: तिरुमाला की पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर स्वरूप को समर्पित है। यह दुनिया के सबसे धनी मंदिरों में से एक है। यहां की मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने कलियुग में मानवता को बचाने के लिए अवतार लिया था।
  • जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा: चार धामों में से एक यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (विष्णु के रूप) को समर्पित है। यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। हर साल निकलने वाली भव्य रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है।
  • पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल: यह मंदिर भगवान विष्णु के अनंत शयनम (नाग पर लेटे हुए) स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है, जिसकी भव्यता और वास्तुकला अद्वितीय है।
  • श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्रीरंगम, तमिलनाडु: कावेरी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर भगवान रंगनाथ को समर्पित है। यह मंदिर दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है और यहां भगवान विष्णु शेषनाग पर विराजमान हैं।

व्रत के लाभ

  • पितृ दोष से मुक्ति: यह व्रत पितरों को मोक्ष दिलाता है और पितृ दोष को दूर करता है।
  • मनोकामना पूर्ति: भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • सुख-समृद्धि: इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
  • पापों का नाश: व्रत के पुण्य प्रभाव से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों का नाश होता है।

🎁 इंदिरा एकादशी पर दान का महत्व

इंदिरा एकादशी पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है, क्योंकि यह पितृ पक्ष के दौरान होता है। इस दिन दान करने से पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • अनाज और वस्त्र: जरूरतमंद लोगों को चावल, दाल, आटा और वस्त्र दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • पितृ तर्पण सामग्री: किसी योग्य ब्राह्मण को पितृ तर्पण के लिए आवश्यक सामग्री, जैसे काले तिल, जौ, और कुश दान करें।
  • भोजन दान: ब्राह्मणों और गरीबों को श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं।
  • पीले रंग की वस्तुएं: भगवान विष्णु को पीले रंग की वस्तुएं प्रिय हैं, इसलिए इस दिन पीले फल, मिठाई या वस्त्र का दान करना भी अत्यंत शुभ होता है।

ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व

इंदिरा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

  • मन और शरीर का संतुलन: एकादशी के दिन चंद्रमा का प्रभाव जल पर सबसे अधिक होता है। हमारा शरीर 70% जल से बना है, इसलिए इस दिन व्रत रखने से शरीर में जल और हार्मोन का संतुलन बना रहता है।
  • पाचन तंत्र को आराम: एकादशी पर अन्न का त्याग करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है। यह शरीर की अंदरूनी सफाई (detox) करता है और उसे स्वस्थ रखने में मदद करता है।
  • ग्रहों की शांति: ज्योतिष के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से चंद्रमा, सूर्य और अन्य ग्रहों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। यह मन को शांत और स्थिर बनाता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: व्रत, पूजा और ध्यान करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मानसिक तनाव और नकारात्मकता दूर होती है।

व्रत के नियम: क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • एकादशी के दिन अन्न का सेवन न करें।
  • सुबह और शाम को भगवान विष्णु और तुलसी की पूजा करें।
  • पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
  • दान-पुण्य के कार्य करें और गरीबों को भोजन कराएं।
  • मन को शांत और पवित्र रखें।

क्या न करें:

  • प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
  • इस दिन चावल का सेवन पूरी तरह वर्जित है।
  • किसी का अपमान न करें और लड़ाई-झगड़ा न करें।
  • झूठ बोलने और निंदा करने से बचें।
  • व्रत के दौरान बाल और नाखून न काटें।

इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पुण्यदायी साधन है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत करने से न केवल पितरों को मोक्ष मिलता है, बल्कि स्वयं भी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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