हरतालिका तीज 2025
तृतीया तिथि समाप्त – 26 अगस्त 2025, दोपहर 01:55 बजे तक
प्रातःकाल हरतालिका पूजा मुहूर्त – 26 अगस्त 2025, सुबह 05:56 बजे से 08:31 बजे तक
हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से उदया तिथि के अनुसार 26 अगस्त को रखा जाएगा।
हरतालिका तीज हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष विधान है।
✨ हरतालिका तीज का महत्व:
- अखंड सौभाग्य: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं।
- मनचाहा वर: कुंवारी कन्याएं उत्तम और मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा से करती हैं।
- शिव-पार्वती का आशीर्वाद: यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और तपस्या का प्रतीक है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है।
- कठोर तपस्या का फल: माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, इसलिए यह व्रत दृढ़ संकल्प और भक्ति का प्रतीक है।
🙏 पूजा विधि:
- प्रातःकाल स्नान: हरतालिका तीज के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र (विशेषकर हरे या लाल रंग के) धारण करें।
- सोलह श्रृंगार: इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें मेहंदी लगाना, हरी चूड़ियां पहनना आदि शामिल है।
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा के लिए घर के किसी पवित्र स्थान पर चौकी स्थापित करें। उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी या रेत से बनी प्रतिमाएं स्थापित करें।
- सामग्री अर्पित करें:
- माता पार्वती को: सुहाग का सामान (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, साड़ी आदि), फल, फूल, मिठाई, नारियल, पान, सुपारी।
- भगवान शिव को: बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, फल, फूल।
- भगवान गणेश को: दूर्वा, मोदक।
- मंत्र जाप: ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ उमामहेश्वराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- हरतालिका तीज व्रत कथा: व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। यह व्रत कथा इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- आरती: भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की आरती करें।
- रात्रि जागरण: कई महिलाएं रात भर जागरण करती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और शिव-पार्वती के गुणों का गुणगान करती हैं।
- निर्जला व्रत: यह व्रत निर्जला (बिना अन्न और जल के) रखा जाता है।
✅ व्रत के नियम (क्या करें और ❌ क्या न करें):
क्या करें:
- पूरे दिन निर्जला व्रत रखें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की श्रद्धापूर्वक पूजा करें।
- व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
- रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
- सुहाग की सामग्री का दान करें।
क्या न करें:
- जल या अन्न का सेवन न करें (निर्जला व्रत है)।
- क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें।
- किसी का अपमान न करें।
- दिन में सोना वर्जित है।
- दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन न करें।
📜 पौराणिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उन्होंने हिमालय पर जाकर अन्न-जल त्याग कर कई वर्षों तक तप किया। उनके पिता हिमालयराज ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु से उनका विवाह तय कर दिया। लेकिन माता पार्वती भगवान विष्णु से विवाह नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि उन्होंने शिवजी को ही अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया था।
अपनी सखी की मदद से माता पार्वती घने जंगल में चली गईं और वहां रेत से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने यह तपस्या की थी। उनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। चूंकि माता पार्वती ने अपनी सखी (हर) के साथ मिलकर यह व्रत (तालिका) किया था, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा।
🎁 सिंधारा का महत्व (मायके से बेटी के लिए):
हरतालिका तीज (और विशेष रूप से हरियाली तीज) पर विवाहित बेटी के मायके से ‘सिंधारा’ भेजने की एक सुंदर और महत्वपूर्ण परंपरा है। यह बेटी के प्रति माता-पिता के प्रेम, स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक है। सिंधारा में मुख्य रूप से निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:
- कपड़े: बेटी और उसके ससुराल वालों के लिए नए कपड़े, खासकर हरे या लाल रंग की साड़ी या सूट।
- श्रृंगार का सामान: इसमें हरी चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, काजल, महावर और अन्य सुहाग की सामग्री शामिल होती है, जो बेटी के सौभाग्य का प्रतीक है।
- मिठाई: घेवर तीज का एक बहुत ही लोकप्रिय और पारंपरिक मिठास है, जो सिंधारे का एक अभिन्न हिस्सा होता है। इसके अलावा अन्य मिठाइयां भी भेजी जाती हैं।
- फल और सूखे मेवे: स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए फल और सूखे मेवे भी शामिल किए जाते हैं।
सिंधारा भेजना रिश्तों में मिठास घोलता है, मायके और ससुराल के बीच के बंधन को मजबूत करता है, और बेटी को यह एहसास दिलाता है कि वह अपने माता-पिता के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। यह परंपरा नवविवाहित जोड़ों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।
🔔 उद्यापन विधि:
हरतालिका तीज का व्रत एक बार शुरू करने के बाद जीवन भर रखा जाता है। इसका उद्यापन विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। उद्यापन के लिए व्रत के अगले दिन सुबह स्नान करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। हवन करें और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं व्रत का पारण करें।
🎁 हरतालिका तीज पर दान का महत्व:
हरतालिका तीज पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन अपनी क्षमतानुसार दान करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
- सुहाग की सामग्री: सुहागिन महिलाएं इस दिन सुहाग की सामग्री (जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, साड़ी) किसी अन्य सुहागिन स्त्री या ब्राह्मण को दान करें। इससे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
- अन्न और वस्त्र: गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है।
- फल और मिठाई: मंदिरों में या गरीबों को फल और मिठाई का दान करें।
- दक्षिणा: पूजा के बाद ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।
🌙 हरतालिका तीज और चंद्र दर्शन:
हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है और इसका पारण अगले दिन किया जाता है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत खोलने की परंपरा भी है।
- चंद्रमा का महत्व: चंद्रमा मन का कारक है और इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- अर्घ्य: चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करने से व्रत पूर्ण माना जाता है।
🤲 हरतालिका तीज पर शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाने का महत्व:
हरतालिका तीज की पूजा में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी या रेत से बनी प्रतिमाएं स्थापित करने का विशेष महत्व है।
- पारंपरिक महत्व: यह परंपरा माता पार्वती की उस तपस्या से जुड़ी है, जब उन्होंने जंगल में रेत से शिवलिंग बनाकर शिवजी को प्रसन्न किया था।
- भक्ति का प्रतीक: स्वयं प्रतिमाएं बनाना भक्तों की श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।
- सरलता और पवित्रता: मिट्टी की प्रतिमाएं प्रकृति से जुड़ाव और पूजा की सरलता को दर्शाती हैं।
💅 हरतालिका तीज पर मेहंदी का महत्व:
हरतालिका तीज पर मेहंदी लगाना सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
- सौभाग्य का प्रतीक: मेहंदी को सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
- शुभता और सौंदर्य: यह पर्व के शुभ वातावरण और महिलाओं के सौंदर्य को बढ़ाती है।
- पारंपरिक कला: महिलाएं विभिन्न प्रकार के डिजाइन और पैटर्न में मेहंदी लगाती हैं, जो भारतीय संस्कृति की कलात्मकता को दर्शाती है।
🌿 हरतालिका तीज पर हरी चूड़ियों का महत्व:
हरतालिका तीज पर हरी चूड़ियां पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है और इसका गहरा महत्व है:
- प्रकृति और नई शुरुआत का प्रतीक: हरा रंग प्रकृति, हरियाली, उर्वरता और नई शुरुआत का प्रतीक है। यह मानसून के मौसम में प्रकृति के नवीनीकरण को दर्शाता है।
- सौभाग्य और समृद्धि: हरी चूड़ियां सुहाग, सौभाग्य, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती हैं। विवाहित महिलाएं इन्हें पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में प्रेम व सद्भाव के लिए पहनती हैं।
- देवी पार्वती को प्रिय: हरा रंग देवी पार्वती को अत्यंत प्रिय है। हरी चूड़ियां पहनने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह माना जाता है कि हरी चूड़ियां पहनने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह महिलाओं के जीवन में खुशहाली लाती हैं।
- वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष के अनुसार, हरा रंग बुध ग्रह से संबंधित है, जो बुद्धि, वाणी और समृद्धि का कारक है। हरी चूड़ियां पहनने से इन गुणों में वृद्धि होती है और पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं।
🎡 हरतालिका तीज पर झूले का महत्व:
हरतालिका तीज पर झूला झूलने की परंपरा भी इस पर्व का एक अभिन्न अंग है, जो विशेष रूप से हरियाली तीज से जुड़ी है, लेकिन हरतालिका तीज के उत्सव में भी इसका आनंद लिया जाता है:
- खुशी और उल्लास का प्रतीक: झूला झूलना आनंद, उत्साह और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह पर्व के उल्लासपूर्ण वातावरण को बढ़ाता है।
- प्रकृति से जुड़ाव: सावन और भाद्रपद मास में जब चारों ओर हरियाली होती है, तब पेड़ों पर झूले डालकर झूलना प्रकृति के साथ जुड़ाव और उसके सौंदर्य का अनुभव करने का एक तरीका है।
- पार्वती जी की याद: यह परंपरा माता पार्वती के मायके में बिताए गए उन पलों की याद दिलाती है, जब वे अपनी सखियों के साथ सावन में झूला झूलती थीं। यह सखियों के बीच प्रेम और सौहार्द का भी प्रतीक है।
- नकारात्मकता का नाश: ऐसा माना जाता है कि झूले की हर ऊपर-नीचे की गति के साथ जीवन की परेशानियां कम होती हैं और खुशियां बढ़ती हैं।
- सामाजिक मेलजोल: झूले अक्सर सामूहिक रूप से डाले जाते हैं, जिससे महिलाएं एक साथ आकर गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं और त्योहार का आनंद लेती हैं, जिससे सामाजिक मेलजोल बढ़ता है।
👨👩👧👦 हरतालिका तीज पर पति अपनी पत्नी के लिए क्या कर सकते हैं और क्या उपहार ला सकते हैं:
हरतालिका तीज का व्रत पत्नी अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखती है। ऐसे में पति का भी यह कर्तव्य बनता है कि वे इस दिन अपनी पत्नी को विशेष महसूस कराएं और उनके व्रत में सहयोग करें।
पति क्या कर सकते हैं:
- सहयोग और सम्मान: पत्नी के व्रत के दौरान पति को उनका पूरा सहयोग करना चाहिए। उन्हें किसी भी तरह से परेशान न करें और उनके त्याग और भक्ति का सम्मान करें।
- घर के कामों में मदद: पत्नी के व्रत के दिन पति को घर के कामों में हाथ बंटाना चाहिए, ताकि पत्नी को आराम मिल सके और वह पूजा पर ध्यान केंद्रित कर सके।
- सकारात्मक माहौल: घर में शांतिपूर्ण और सकारात्मक माहौल बनाए रखें। किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें।
- व्रत में साथ दें: यदि संभव हो, तो पति भी पत्नी के साथ सात्विक भोजन का सेवन करें और तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा) से बचें।
- पूजा में शामिल हों: पत्नी के साथ पूजा में शामिल हों और भगवान शिव-पार्वती का आशीर्वाद लें।
- मायके का सम्मान: पत्नी के मायके वालों का सम्मान करें। यदि मायके से कोई उपहार न आए, तो पत्नी का मज़ाक न उड़ाएं, बल्कि उन्हें विशेष महसूस कराएं।
- रात्रि जागरण में साथ: यदि पत्नी रात्रि जागरण कर रही है, तो पति भी उनके साथ बैठकर भजन-कीर्तन में शामिल हो सकते हैं या उन्हें कंपनी दे सकते हैं।
पति क्या उपहार ला सकते हैं:
हरतालिका तीज पर पत्नी को दिए गए उपहार उनके त्याग और प्रेम के प्रति सम्मान का प्रतीक होते हैं।
- सुहाग की सामग्री: यह सबसे पारंपरिक और शुभ उपहार है। इसमें नई साड़ी (विशेषकर हरे या लाल रंग की), चूड़ियां (हरी चूड़ियां विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं), बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, पायल, बिछिया आदि शामिल हो सकते हैं।
- गहने: पत्नी की पसंद के अनुसार सोने, चांदी या अन्य धातु के गहने (जैसे अंगूठी, झुमके, हार) दे सकते हैं।
- कपड़े: पत्नी की पसंद की कोई नई ड्रेस या पारंपरिक परिधान उपहार में दें।
- मेकअप किट/सौंदर्य उत्पाद: यदि पत्नी को मेकअप का शौक है, तो उनकी पसंदीदा ब्रांड की मेकअप किट या उच्च गुणवत्ता वाले सौंदर्य उत्पाद दे सकते हैं।
- पर्स/हैंडबैग: एक स्टाइलिश पर्स या हैंडबैग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
- फूल: यदि आपके पास समय कम है, तो एक सुंदर फूलों का गुलदस्ता भी पत्नी को खुशी दे सकता है।
- व्यक्तिगत उपहार: कोई ऐसा उपहार जो पत्नी की हॉबी या पसंद से जुड़ा हो, जैसे कोई किताब, गैजेट, या स्पा वाउचर।
- मिठाई और फल: पूजा के बाद पत्नी को व्रत खोलने के लिए उनकी पसंद की मिठाई और फल ला सकते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उपहार की कीमत से ज्यादा उसमें छिपा प्रेम और सम्मान होता है। पति का सहयोग और प्यार ही पत्नी के लिए सबसे बड़ा उपहार है।
🗺️ हरतालिका तीज भारत में कहाँ-कहाँ मनाई जाती है:
हरतालिका तीज का पर्व भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में प्रचलित है, लेकिन इसके महत्व को अन्य क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है।
- उत्तर प्रदेश: यह हरतालिका तीज के प्रमुख केंद्रों में से एक है, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और ब्रज क्षेत्र में।
- बिहार: बिहार में हरतालिका तीज का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, और इसकी तैयारियां एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती हैं।
- झारखंड: यह राज्य भी हरतालिका तीज को बड़े उत्साह के साथ मनाता है।
- राजस्थान: राजस्थान में भी तीज के त्योहार का बहुत महत्व है, और महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती हैं।
- मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है।
- उत्तराखंड: यह पर्व उत्तराखंड में भी प्रचलित है।
- महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भी इस व्रत का पालन किया जाता है, क्योंकि यह गणेश चतुर्थी से ठीक एक दिन पहले आता है, और यहां गणेश स्थापना की जाती है।
- नेपाल: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी हरतालिका तीज को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
इन सभी क्षेत्रों में महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
🎤 हरतालिका तीज के लोकप्रिय गीत:
हरतालिका तीज के शुभ अवसर पर, महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति में लीन होकर कई पारंपरिक और लोकप्रिय लोकगीत गाती हैं। ये गीत तीज के उत्सव में चार चांद लगा देते हैं और उनमें माता पार्वती की तपस्या, शिव-पार्वती के प्रेम और सुहाग की कामना का सुंदर वर्णन होता है।
1. माता पार्वती की तपस्या और विवाह से संबंधित गीत:
ये गीत माता पार्वती के कठोर तप और भगवान शिव को पति रूप में पाने के उनके संघर्ष की कहानी बताते हैं। इनमें शिव-पार्वती के विवाह और उनके मिलन की खुशी को भी दर्शाया जाता है।
- “गौरा ने तपस्या की भारी, शिवजी को पाने को…”
- “शिवजी ब्याहन आए गौरा को, हर हर महादेव बोल रे…”
- “गौरा मैया को ब्याहन चले शिवजी, डमरू बजाए, बारात सजाए…”
- “शिवजी की बारात चली, गौरा बनी दुल्हनिया…”
2. सुहाग और दांपत्य जीवन की खुशहाली के गीत:
ये गीत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए गाए जाते हैं। ये पति-पत्नी के अटूट रिश्ते और प्रेम का बखान करते हैं।
- “मेरा सुहाग अमर रहे, शिवजी-गौरा दें वरदान…”
- “पिया की लंबी उमर होवे, तीज का व्रत फलदायी होवे…”
- “सावन आया, तीज लाई, पिया संग जीवन सुखदाई…”
- “चूड़ी खनके, बिंदी चमके, पिया का प्यार बना रहे…”
3. झूले और सावन के उल्लास के गीत:
तीज का पर्व सावन और भाद्रपद मास में आता है, जब प्रकृति हरी-भरी होती है। ऐसे में झूले और प्रकृति के सौंदर्य से जुड़े गीत भी खूब गाए जाते हैं, जो पर्व के उल्लास को और बढ़ा देते हैं।
- “सावन आया, बादल छाए, झूला झूले सखियां…”
- “धीरे-धीरे झूल रे झूला, धीरे-धीरे झूल…”
- “बरसो रे मेघा, बरसो रे, पिया घर आ जाओ…”
- “झूला तो पड़े हैं बागों में, सखियां झूलें मिलके…”
4. पारंपरिक और क्षेत्रीय गीत:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हरतालिका तीज को अलग-अलग बोलियों और शैलियों में मनाया जाता है, और वहां के स्थानीय लोकगीत भी प्रचलित हैं। ये गीत उस क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं।
ये लोकगीत हरतालिका तीज के उत्सव को जीवंत और यादगार बनाते हैं, और महिलाओं को अपनी परंपराओं और भक्ति को व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम प्रदान करते हैं।
🌸 तीज के प्रकार: हरियाली, कजरी और हरतालिका तीज
भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार की तीज मनाई जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व और मनाने का तरीका है। ये तीनों ही तीज भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं और सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए ये व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इन व्रतों को करती हैं।
1. हरियाली तीज (Hariyali Teej)
- कब मनाई जाती है: यह सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह मानसून के आगमन और चारों ओर हरियाली के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है।
- महत्व: यह भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
- कैसे मनाते हैं: इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेहंदी लगाती हैं। झूले डाले जाते हैं और महिलाएं लोकगीत गाते हुए झूला झूलती हैं। मायके से ‘सिंधारा’ (मिठाई, कपड़े, मेहंदी, श्रृंगार का सामान) भेजने की परंपरा है।
- प्रमुख क्षेत्र: राजस्थान, उत्तर प्रदेश (विशेषकर ब्रज क्षेत्र), हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में।
2. कजरी तीज (Kajari Teej)
- कब मनाई जाती है: यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो हरियाली तीज के लगभग 15 दिन बाद आती है। इसे ‘बड़ी तीज’ या ‘सातूड़ी तीज’ भी कहते हैं।
- महत्व: यह त्योहार पति की लंबी उम्र, संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए मनाया जाता है। इस दिन नीमड़ी माता की पूजा का भी विशेष महत्व है।
- कैसे मनाते हैं: महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। व्रत तोड़ने से पहले गाय को सात रोटियों पर चना और गुड़ रखकर खिलाने की परंपरा है। कजरी गीत गाए जाते हैं।
- प्रमुख क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के कुछ हिस्सों में।
3. हरतालिका तीज (Hartalika Teej)
- कब मनाई जाती है: यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह तीनों तीजों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- महत्व: यह माता पार्वती की कठोर तपस्या और भगवान शिव को पति रूप में पाने के उनके दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
- कैसे मनाते हैं: महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी या रेत से बनी प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा करती हैं। रात्रि जागरण और व्रत कथा सुनने का विशेष महत्व है।
- प्रमुख क्षेत्र: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में।
ये तीनों तीज पर्व भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग हैं, जो महिलाओं की आस्था, प्रेम और समर्पण को दर्शाते हैं।
🧘♀️ हरतालिका तीज का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व:
हरतालिका तीज का व्रत केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
- शारीरिक शुद्धि: निर्जला व्रत रखने से शरीर की आंतरिक शुद्धि होती है और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, जिससे स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- मानसिक दृढ़ता: यह व्रत मानसिक दृढ़ता और आत्म-नियंत्रण को बढ़ाता है, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है और मन को शांति मिलती है।
- प्रकृति से जुड़ाव: यह पर्व प्रकृति और उसके चक्रों से जुड़ाव को भी दर्शाता है, खासकर मानसून के मौसम में।
📈 लाभों का सारांश:
- सुखी वैवाहिक जीवन: यह व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ाता है।
- लंबी आयु और स्वास्थ्य: पति को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
- मनचाहा जीवनसाथी: कुंवारी कन्याओं को योग्य और मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
- पापों का नाश: व्रत के पालन से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
🕉️ भगवान शिव के प्रमुख नाम और उनके अर्थ:
- शिव (Shiva): कल्याणकारी, शुभ।
- महादेव (Mahadev): देवों के देव, सबसे महान देवता।
- शंकर (Shankar): सुख और शांति प्रदान करने वाले।
- रुद्र (Rudra): दुखों का नाश करने वाले, भयंकर।
- भोलेनाथ (Bholenath): भोले, आसानी से प्रसन्न होने वाले।
- नीलकंठ (Neelkanth): जिनका कंठ नीला है (समुद्र मंथन के दौरान विष पीने के कारण)।
- त्रिलोचन (Trilochan): तीन नेत्रों वाले।
- नटराज (Nataraj): नृत्य के देवता, ब्रह्मांडीय नर्तक।
- गंगाधर (Gangadhar): गंगा को धारण करने वाले (अपनी जटाओं में)।
- पशुपति (Pashupati): सभी जीवों के स्वामी।
🌸 माता पार्वती के प्रमुख नाम और उनके अर्थ:
- पार्वती (Parvati): पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
- उमा (Uma): शांत, सुख देने वाली।
- गौरी (Gauri): शुद्ध, निष्कलंक, सुंदर।
- भवानी (Bhavani): संसार की उत्पत्ति का कारण, जीवनदायिनी।
- शिवांगी (Shivangi): शिव का अंग, शिव की शक्ति।
- गिरिजा (Girija): गिरि (पर्वत) से जन्मी।
- अपर्णा (Aparna): जिन्होंने तपस्या के दौरान पत्ते भी नहीं खाए।
- जगदम्बा (Jagadamba): जगत की माता।
- कल्याणी (Kalyani): शुभ और मंगलकारी।
- अम्बिका (Ambika): माता, देवी।
हरतालिका तीज का व्रत सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करने पर भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।