श्रावण पूर्णिमा व्रत 2025
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 9 अगस्त 2025 को शाम 05 बजकर 05 मिनट तक
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन न केवल रक्षा बंधन जैसे पवित्र त्योहार के लिए जाना जाता है, बल्कि इसे श्रावण पूर्णिमा व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और धार्मिक अनुष्ठान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 में, श्रावण पूर्णिमा का यह पावन व्रत शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
आइए, जानते हैं श्रावण पूर्णिमा व्रत का महत्व और इस दिन क्या करें।
श्रावण पूर्णिमा व्रत का महत्व
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है, और इसकी पूर्णिमा तिथि का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से निम्नलिखित लाभ माने जाते हैं:
- पुण्य की प्राप्ति: यह व्रत पापों का नाश कर पुण्य दिलाने वाला माना जाता है।
- चंद्र देव की कृपा: पूर्णिमा तिथि चंद्रमा को समर्पित होती है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
- मोक्ष की ओर अग्रसर: मान्यता है कि यह व्रत मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है और जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति दिलाता है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से किए गए इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- ग्रह दोषों की शांति: यह व्रत कुंडली में चंद्र संबंधित दोषों को शांत करने में भी सहायक होता है।
इस दिन कई अन्य महत्वपूर्ण पर्व और अनुष्ठान भी संपन्न होते हैं, जिनमें रक्षा बंधन प्रमुख है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है।
श्रावण पूर्णिमा व्रत के दिन क्या करें?
श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा-पाठ का विधान इस प्रकार है:
- प्रातःकाल स्नान: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी (जैसे गंगा) में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- व्रत का संकल्प: स्वच्छ वस्त्र धारण कर हाथ में जल, फूल और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- देवताओं की पूजा: भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु और चंद्र देव का ध्यान करें।
- भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
- चंद्रोदय होने पर चंद्र देव को दूध और जल से अर्घ्य दें।
- मंत्र जाप और ध्यान: पूरे दिन “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। मन को शांत रखें और आध्यात्मिक विचारों में लीन रहें।
- दान-पुण्य: इस दिन दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र या धन का दान करें।
- अन्न ग्रहण न करें: इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। आप फलाहार कर सकते हैं।
- कथा श्रवण: श्रावण पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
- रात्रि जागरण: संभव हो तो रात्रि में जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करें।
श्रावण पूर्णिमा का यह पावन दिन हमें धार्मिकता, प्रेम और सद्भाव की ओर अग्रसर करता है। यह आध्यात्मिक शुद्धि और ईश्वरीय कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर है।
आप सभी को श्रावण पूर्णिमा व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं!