रक्षा बंधन 2025

रक्षा बंधन 2025
रक्षा बंधन
09
अगस्त 2025
Saturday / शनिवार
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन 2025
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ8 अगस्त 2025 को दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त9 अगस्त 2025 को शाम 05 बजकर 05 मिनट तक

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त9 अगस्त 2025 को प्रातः 05 बजकर 48 मिनट से शाम 05 बजकर 05 मिनट तक

अपराह्न मुहूर्त9 अगस्त 2025 को दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से शाम 04 बजकर 29 मिनट तक

प्यारे भाई-बहनो,

भारतवर्ष त्योहारों की भूमि है, और यहाँ हर पर्व अपने आप में एक अनूठा रंग और महत्व रखता है। ऐसा ही एक खूबसूरत और भावनात्मक पर्व है रक्षा बंधन, जो भाई-बहन के पवित्र और अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में, यह स्नेह और रक्षा का बंधन शनिवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा।

रक्षा बंधन न केवल एक धागा बांधने की रस्म है, बल्कि यह भाई के द्वारा अपनी बहन की रक्षा करने के वचन और बहन के द्वारा अपने भाई के लिए प्यार और मंगलकामनाओं का प्रतीक है। आइए जानते हैं इस पावन पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और इसे मनाने की सही विधि।

रक्षा बंधन का महत्व

रक्षा बंधन का पर्व सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। इसका महत्व सिर्फ एक पारिवारिक रस्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी गहरा जुड़ा हुआ है:

  • भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक: यह त्योहार भाई और बहन के बीच के निस्वार्थ प्रेम, स्नेह और बंधन को दर्शाता है।
  • रक्षा का वचन: राखी बांधकर बहन अपने भाई से अपनी रक्षा और सम्मान की कामना करती है, और भाई उसे हर परिस्थिति में साथ देने का वचन देता है।
  • पारिवारिक एकता: यह पर्व पूरे परिवार को एक साथ लाता है, जिससे रिश्तों में मधुरता और एकता बढ़ती है।
  • सामाजिक सद्भाव: रक्षा बंधन सामाजिक सद्भाव और प्रेम को भी बढ़ावा देता है। प्राचीन काल में क्षत्रिय योद्धा युद्ध में जाने से पहले ब्राह्मणों और महिलाओं से रक्षा सूत्र बंधवाते थे।

रक्षा बंधन की विधि

रक्षा बंधन का त्योहार पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है:

  • तैयारी: रक्षा बंधन के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर को साफ करें और पूजा स्थल को सजाएं।
  • पूजा: घर के मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा करें और उन्हें राखी अर्पित करें।
  • थाली सजाना: राखी बांधने के लिए थाली सजाएं। थाली में राखी, रोली (कुंकुम), अक्षत (चावल), दीपक, मिठाई और फल रखें।
  • राखी बांधना:
    • बहन अपने भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं।
    • भाई के माथे पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।
    • भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें और उसकी आरती उतारें।
    • भाई को मिठाई खिलाएं और उसकी मंगलकामना करें।
  • उपहारों का आदान-प्रदान: राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उसकी रक्षा का वचन दोहराते हैं।
  • भोजन: इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं और पूरा परिवार एक साथ भोजन करता है।

हरिद्वार में रक्षा बंधन का विशेष महत्व:

उत्तराखंड, विशेष रूप से हरिद्वार, देवताओं की भूमि मानी जाती है। यहाँ गंगा नदी के तट पर रक्षा बंधन का पर्व और भी पवित्रता और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भाई-बहन गंगा मां का आशीर्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और कर्तव्य को दोहराते हैं।

यह रक्षा बंधन आपके और आपके भाई-बहन के बीच के प्रेम और बंधन को और भी मजबूत करे। आप सभी को रक्षा बंधन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!

शुभ रक्षा बंधन!

Scroll to Top