प्रदोष व्रत (शुक्ल) 2025
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 7 अगस्त 2025 को प्रातः 03 बजकर 20 मिनट तक
पूजा का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल) – 6 अगस्त 2025 को शाम 07 बजकर 00 मिनट से रात 09 बजकर 00 मिनट तक
हिंदू धर्म में, प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक अत्यंत शुभ और कल्याणकारी व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने और सभी कष्टों से मुक्ति पाने के लिए रखा जाता है। यह प्रदोष व्रत सावन मास में आ रहा है, जो भगवान शिव का प्रिय महीना है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
आइए जानते हैं वर्ष 2025 में आने वाले बुध प्रदोष व्रत की तिथि, इसका महत्व और भगवान शिव को प्रसन्न करने की सही पूजा विधि क्या है।
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
प्रत्येक वार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। बुधवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत (बुध प्रदोष) भगवान शिव के साथ-साथ भगवान गणेश को भी समर्पित होता है, जो विघ्नहर्ता हैं।
- सौभाग्य और समृद्धि: बुध प्रदोष व्रत करने से जीवन में सौभाग्य, धन और समृद्धि आती है।
- रोग मुक्ति: यह व्रत रोग और शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
- शत्रुओं पर विजय: इस व्रत के प्रभाव से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से यह व्रत करने से भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- ग्रह दोष शांति: ज्योतिष के अनुसार, बुध प्रदोष व्रत बुध ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने में भी मदद करता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल (शाम) में की जाती है।
- सुबह की तैयारी:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। आप अपनी क्षमता अनुसार निर्जला (बिना पानी के) या फलाहारी व्रत रख सकते हैं।
- दिनभर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते रहें और मन को शांत रखें।
- शाम की पूजा (प्रदोष काल में):
- सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस समय दोबारा स्नान करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
- एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। आप शिवलिंग भी स्थापित कर सकते हैं।
- भगवान शिव का जलाभिषेक (जल चढ़ाना) और दुग्धाभिषेक (दूध चढ़ाना) करें।
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन, अक्षत (चावल), फूल (सफेद या लाल), धूप, दीपक और मिठाई (जैसे खीर या हलवा) अर्पित करें।
- माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें।
- शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- पूजा के बाद, सभी में प्रसाद वितरित करें।
प्रदोष व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें:
- क्या करें: व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें (यदि फलाहारी व्रत है)। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- क्या न करें: दिन में सोना, तामसिक भोजन करना, किसी का अपमान करना या क्रोध करना वर्जित है।
प्रदोष व्रत के माध्यम से भगवान शिव अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं और उनके जीवन को सुखमय बनाते हैं।
आपको प्रदोष व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं!











