श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025
एकादशी तिथि समाप्त – 6 अगस्त 2025 को रात 01 बजकर 45 मिनट तक
पारण (व्रत खोलने का) समय – 6 अगस्त 2025 को सुबह 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत पवित्र और फलदायी दिन माना जाता है। हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व होता है। सावन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से संतान सुख की कामना रखने वाले दंपत्तियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
आइए जानते हैं वर्ष 2025 में श्रावण पुत्रदा एकादशी कब है, इसका क्या महत्व है और संतान प्राप्ति के लिए इसकी पूजा विधि क्या है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ‘पुत्रदा’ का अर्थ है ‘पुत्र देने वाली’ (संतान देने वाली)। यह एकादशी मुख्य रूप से उन दंपत्तियों के लिए बेहद खास है, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
- संतान सुख की प्राप्ति: मान्यता है कि जो दंपत्ति पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु के आशीर्वाद से संतान का सुख प्राप्त होता है।
- पापों से मुक्ति: इस एकादशी का व्रत करने से पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सुख-समृद्धि: यह व्रत जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
- पौराणिक कथा: इस एकादशी से जुड़ी एक कथा के अनुसार, महिष्मती के राजा महीजित को संतान नहीं थी। उन्होंने लोमश ऋषि के सुझाव पर इस एकादशी का व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ। यह कथा इस व्रत के महत्व को और बढ़ा देती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे विधि-विधान से करना चाहिए:
- दशमी को तैयारी: एकादशी से एक दिन पहले, यानी दशमी तिथि को, सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- एकादशी के दिन:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें: और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें:
- व्रत का संकल्प लें: संतान प्राप्ति की कामना वाले दंपत्ति ‘निर्जला व्रत’ (बिना जल के) या ‘फलाहारी व्रत’ (फल और पानी के साथ) का संकल्प ले सकते हैं, अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार।
- भगवान विष्णु को धूप, दीप, चंदन, तुलसी के पत्ते, फूल (विशेषकर पीले फूल), फल, नैवेद्य (खीर, मिठाई) आदि अर्पित करें: तुलसी पत्ता अर्पित करना अनिवार्य माना जाता है।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें: जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ विष्णवे नमः”।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है:
- श्रावण पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें:
- रात में जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करें:
- द्वादशी को पारण: एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। पारण के समय सात्विक भोजन करें और ब्राह्मणों या गरीबों को दान दें।
इस व्रत को सच्चे मन से करने पर भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, विशेषकर संतान सुख की इच्छा रखने वालों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं!