नाग पंचमी 2025
पंचमी तिथि समाप्त – 30 जुलाई 2025, रात 12 बजकर 46 मिनट तक
मुख्य पूजा का शुभ मुहूर्त – 29 जुलाई 2025, प्रातः 06 बजकर 13 मिनट से प्रातः 08 बजकर 49 मिनट तक
सावन का पवित्र महीना शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, और इसी माह में एक और महत्वपूर्ण पर्व आता है – **नाग पंचमी**। यह पर्व नाग देवताओं को समर्पित है, जिनकी पूजा से भय, रोग और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं वर्ष 2025 में नाग पंचमी कब है, इसका क्या महत्व है और इसकी सही पूजा विधि क्या है।
नाग पंचमी का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व:
नाग पंचमी का पर्व अनादि काल से मनाया जा रहा है। इसका संबंध कई पौराणिक कथाओं से है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- भगवान शिव से संबंध: नाग देवता भगवान शिव के गले का आभूषण हैं, इसलिए नाग पंचमी पर उनकी पूजा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- कालसर्प दोष से मुक्ति: ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उन्हें नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और सर्प सूक्त का पाठ करने से इस दोष के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
- आस्तिक मुनि की कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, जनमेजय के सर्प यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रोककर नागों के वंश की रक्षा की थी। तभी से इस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।
- किसानों के मित्र: नागों को किसानों का मित्र भी कहा जाता है, क्योंकि वे खेतों में चूहे और अन्य कीटों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं।
इस दिन नागों की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सांपों से जुड़े किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी की विस्तृत पूजा विधि:
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करनी चाहिए। यहाँ पूजा के मुख्य चरण दिए गए हैं:
- प्रातःकाल जागरण और स्नान: नाग पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठें। घर की साफ-सफाई करें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान की तैयारी: पूजा स्थल पर एक चौकी स्थापित करें। यदि संभव हो, तो गाय के गोबर या पवित्र मिट्टी से नाग देवता की आकृति बनाएं। आप चाहें तो नाग देवता की मूर्ति या चित्र भी स्थापित कर सकते हैं।
- संकल्प: हाथ में जल और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें और नाग देवता का आह्वान करें।
- नाग देवता का पूजन:
- नाग देवता पर जल छिड़क कर उन्हें स्नान कराएं।
- फिर उन्हें हल्दी, रोली (कुंकुम), चावल (अक्षत) और फूल अर्पित करें।
- कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर पंचामृत बनाएं और उससे नाग देवता का अभिषेक करें।
- उन्हें मिठाई (विशेषकर खीर), फल और अन्य पकवानों का भोग लगाएं।
- धूप और दीपक जलाएं।
- मंत्र जाप और कथा श्रवण: “ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः।।” या “ॐ नागये नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें। पूजा के दौरान नाग पंचमी की व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
- आरती और क्षमा याचना: नाग देवता की आरती करें। अंत में, अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और उनसे अपने परिवार की रक्षा व कल्याण की प्रार्थना करें।
- दूध अर्पित करना: कई स्थानों पर नागों को दूध पिलाने की परंपरा है। हालांकि, सुरक्षा के लिए जीवित सांपों की बजाय नाग देवता की मूर्ति या तस्वीर को ही दूध अर्पित करना चाहिए।
नाग पंचमी का यह पावन पर्व हमें प्रकृति और उसके जीवों के प्रति सम्मान सिखाता है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
नाग पंचमी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं!