तुला संक्रांति 2025: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

तुला संक्रांति 2025

तुला संक्रांति
संक्रांति
17
अक्टूबर 2025
शुक्रवार
सूर्य देव
तुला संक्रांति
शुभ मुहूर्त: सुबह 06:21 AM से दोपहर 12:15 PM तक

तुला संक्रांति शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे।

तुला संक्रांति का महत्व

तुला संक्रांति का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह वह दिन है जब सूर्य देव कन्या राशि को छोड़कर तुला राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन से सौर मास के नए महीने की शुरुआत होती है। तुला संक्रांति का यह समय विशेष रूप से दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान के लिए शुभ माना जाता है।

इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। मान्यता है कि तुला राशि में सूर्य का प्रवेश कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए अशुभ प्रभाव लाता है, इसलिए इस दिन दान-पुण्य करके ग्रहों को शांत करना चाहिए।

📜 तुला संक्रांति की पूजा विधि

तुला संक्रांति के दिन भक्त इन चरणों का पालन करते हैं:

  1. पवित्र स्नान: सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी (गंगा, यमुना आदि) में स्नान करें। यदि संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  2. सूर्य देव की पूजा: स्नान के बाद, सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
  3. दान-पुण्य: इस दिन दान का बहुत महत्व है। किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करें। इस दिन तिल, गुड़, और घी का दान करना भी शुभ माना जाता है।
  4. सूर्य मंत्रों का जाप: पूरे दिन सूर्य देव के मंत्रों और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना शुभ होता है।
  5. सात्विक भोजन: इस दिन तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांसाहार) से परहेज करना चाहिए।

☀️ तुला संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य का कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है।

  • प्रभाव: तुला राशि में सूर्य का प्रवेश कुछ राशियों के लिए शुभ फल लेकर आता है, जबकि कुछ राशियों के लिए यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • क्या करें: सूर्य के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए, इस दिन सूर्य देव की पूजा, दान, और मंत्रों का जाप करना चाहिए।

🌾 तुला संक्रांति से जुड़े त्योहार और परंपराएं

तुला संक्रांति का उत्सव भारत के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न त्योहारों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

  • ओडिशा: ओडिशा में इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ इसे ‘गरबा संक्रांति’ या ‘तुला संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन किसान अपनी फसल का सम्मान करते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
  • कर्नाटक: कर्नाटक में इस दिन को ‘तुला संक्रमाना’ कहते हैं। यहाँ भक्त कावेरी नदी में पवित्र स्नान करते हैं।
  • केरल: केरल में, इस दिन को ‘तुलापट्तु’ या ‘तुलापति’ के रूप में मनाया जाता है, जहाँ विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  • पंजाब और हरियाणा: इन राज्यों में, यह पर्व फसल कटाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।

🪔 तुला संक्रांति की पूजा सामग्री

इस दिन पूजा में इन सामग्रियों का प्रयोग करना शुभ माना जाता है:

  • सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र
  • लाल फूल और लाल चंदन
  • जल का लोटा
  • गुड़, तिल, और घी
  • धूप, दीपक, और कपूर

🗓️ साल की 12 संक्रांतियां

एक साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इन सभी संक्रांतियों का अपना-अपना महत्व होता है, लेकिन मकर संक्रांति, कर्क संक्रांति, और तुला संक्रांति सबसे प्रमुख मानी जाती हैं।

  • मकर संक्रांति: जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह त्योहार उत्तर भारत में लोहड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
  • कर्क संक्रांति: जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से दक्षिणायन शुरू होता है।
  • तुला संक्रांति: जब सूर्य तुला राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सौर वर्ष का सातवां महीना शुरू होता है।

☀️ सूर्य देव के प्रमुख नाम और उनका अर्थ

सूर्य देव को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें से प्रत्येक उनके गुणों और शक्तियों को दर्शाता है। यहाँ उनके कुछ प्रमुख नाम और उनके अर्थ दिए गए हैं:

  • सूर्य: जो सभी को प्रकाश और जीवन देते हैं।
  • रवि: जो अंधकार का नाश करते हैं।
  • भानु: जिनकी किरणें तेजस्वी हैं।
  • दिवाकर: जो दिन की शुरुआत करते हैं।
  • भास्कर: जो ज्ञान और प्रकाश फैलाते हैं।
  • आदित्य: अदिति के पुत्र।
  • मित्र: सबके मित्र, करुणामय और सौम्य।
  • पूषा: जो पोषण और जीवन शक्ति प्रदान करते हैं।
  • खग: जो आकाश में विचरण करते हैं।
  • हिरण्यगर्भ: स्वर्ण जैसे तेजस्वी, ब्रह्मांड के गर्भ से उत्पन्न।

🏛️ सूर्य देव के प्रमुख मंदिर और मान्यताएं

भारत में सूर्य देव को समर्पित कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी अपनी खास मान्यताएं हैं।

1. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा

  • मान्यता: 13वीं शताब्दी में बना यह मंदिर एक विशाल रथ के आकार में है, जिसे 7 घोड़े खींचते हैं और 12 जोड़ी पहिए लगे हुए हैं। यह रथ सूर्य देव का प्रतीक है। यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ सूर्य की पहली किरण सीधे मंदिर के मुख्य द्वार पर पड़ती थी।

2. मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात

  • मान्यता: 11वीं शताब्दी में बना यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। इसे इस तरह से बनाया गया है कि सूर्य की किरणें सीधे मंदिर के गर्भगृह पर पड़ती हैं। यह मंदिर राम और सीता के जीवन की कहानियों को भी दर्शाता है।

3. मार्तंड सूर्य मंदिर, जम्मू-कश्मीर

  • मान्यता: 8वीं शताब्दी में बना यह प्राचीन मंदिर सूर्य देव को समर्पित है। हालांकि अब यह खंडहर के रूप में है, लेकिन इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

4. देव सूर्य मंदिर, औरंगाबाद, बिहार

  • मान्यता: यह मंदिर अन्य सूर्य मंदिरों से अलग है, क्योंकि यह पश्चिम दिशा की ओर है। मान्यता है कि यहाँ छठ पूजा का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है और सूर्य देव की पूजा करने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।

इन मंदिरों में सूर्य देव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

❤️‍🔥 सूर्य देव की प्रिय वस्तुएं और वर्जित चीजें

सूर्य देव की पूजा करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके:

प्रिय वस्तुएं (पसंद):

  • लाल रंग: सूर्य देव को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। उन्हें लाल वस्त्र, लाल फूल (जैसे गुड़हल या गुलाब) और लाल चंदन अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  • जल: सूर्य देव को जल चढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। जल में लाल फूल, रोली या कुमकुम मिलाकर अर्घ्य देने से वे प्रसन्न होते हैं।
  • अन्न और प्रसाद: सूर्य देव को गुड़, गेहूं, और लाल रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
  • मंत्र: ‘ॐ सूर्याय नमः’, ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’, और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना उन्हें अत्यंत प्रिय है।

वर्जित चीजें (नापसंद):

  • तुलसी: सूर्य देव की पूजा में तुलसी के पत्ते का प्रयोग वर्जित माना जाता है।
  • अंधेरे में पूजा: सूर्य देव की पूजा हमेशा सूर्योदय के समय या दिन के उजाले में करनी चाहिए।
  • अस्वच्छता: पूजा करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना अनिवार्य है।
  • तामसिक भोजन: सूर्य देव की पूजा के दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, और मांसाहार से दूर रहना चाहिए।
  • लोहे का इस्तेमाल: पूजा में लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तांबे या पीतल के बर्तनों का उपयोग शुभ होता है।

🎵 सूर्य देव के मंत्र

सूर्य देव की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है:

  • सूर्य बीज मंत्र: “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।” इस मंत्र का जाप करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और बल, बुद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।
  • आदित्य हृदय स्तोत्र: इसका पाठ करने से व्यक्ति के सभी शत्रुओं का नाश होता है और उसे विजय प्राप्त होती है। यह राम और रावण के युद्ध से जुड़ा है, जहाँ अगस्त्य मुनि ने राम को इस स्तोत्र का पाठ करने की सलाह दी थी।
  • सामान्य मंत्र: “ॐ सूर्याय नमः।” यह सबसे सरल और शक्तिशाली मंत्र है, जिसका जाप कभी भी किया जा सकता है।

तुला संक्रांति का पर्व आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए।

आपको तुला संक्रांति 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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