मोक्षदा एकादशी 2025

मोक्षदा एकादशी 2025
मोक्षदा एकादशी
01
दिसंबर 2025
सोमवार
भगवान विष्णु की पूजा
मोक्षदा एकादशी 2025
एकादशी तिथि: आरंभ: 1 दिसंबर, सुबह 04:47 बजे | समाप्त: 2 दिसंबर, सुबह 06:14 बजे

मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजा सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को की जाएगी। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा और भगवद गीता का पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म में, एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र दिन माना जाता है, और इसका विशेष महत्व है। मोक्षदा एकादशी, जो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आती है, को “मोक्ष प्रदान करने वाली” एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति को न केवल सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे जीवन और मृत्यु के चक्र से भी छुटकारा मिलता है, जिससे वह सीधे मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।

📜 मोक्षदा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा:

इस एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है जो वैखानस नामक एक राजा से संबंधित है। राजा वैखानस को अपने सपने में पता चला कि उनके पिता को नर्क में कष्ट भोगना पड़ रहा है, क्योंकि उन्होंने पूर्व जन्म में कुछ पाप किए थे। राजा ने इस बात से दुखी होकर अपने पिता को नर्क से मुक्त कराने के लिए पर्वत मुनि से सलाह ली।

पर्वत मुनि ने राजा को बताया कि उनके पिता अपने पापों के कारण नर्क में हैं और उन्हें केवल मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से ही मुक्ति मिल सकती है। मुनि ने राजा को इस व्रत का महत्व समझाया और उन्हें विधि-पूर्वक इसका पालन करने को कहा। राजा ने मुनि के निर्देशानुसार पूरे विधि-विधान से मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से, राजा के पिता को नर्क से मुक्ति मिल गई और वे सीधे स्वर्ग लोक चले गए। यह कथा दर्शाती है कि इस एकादशी का व्रत करने से न केवल स्वयं के पापों का नाश होता है, बल्कि पितरों को भी मोक्ष प्राप्त होता है।

🙏 मोक्षदा एकादशी पूजा विधि:

मोक्षदा एकादशी का व्रत अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है। यहाँ इसकी मुख्य पूजा विधि दी गई है:

  1. व्रत का संकल्प: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  2. पूजा: पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़कें। भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, फल, धूप, और दीप अर्पित करें। इस दिन तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। तुलसी के पौधे पर दीपक जलाएं।
  3. मंत्र जाप: पूरे दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
  4. भोग: भगवान विष्णु को खीर, मिठाई या अन्य सात्विक भोग लगाएं। ध्यान रखें कि भोग में तुलसी पत्र अवश्य हो।
  5. गीता का पाठ: चूंकि यह एकादशी गीता जयंती के दिन पड़ती है, इसलिए इस दिन भगवद गीता का पाठ करना या सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  6. पारण: एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत खोलें। व्रत खोलने से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान दें।

📚 गीता जयंती का विशेष महत्व:

मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस एकादशी को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भगवद गीता सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें जीवन के सार और कर्म के सिद्धांत को समझाया गया है। इस दिन गीता का पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान, विवेक और आत्मिक शांति मिलती है। यह हमें सिखाती है कि कैसे कर्तव्य का पालन करते हुए भी आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ा जा सकता है।

📖 भगवद गीता का सार और मुख्य शिक्षाएं:

भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है। इसमें कुल 18 अध्याय हैं, जिन्हें तीन खंडों में बांटा गया है:

  • कर्म योग: यह हमें कर्म करने की महत्ता सिखाता है। भगवान कृष्ण कहते हैं कि हमें फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का सिद्धांत इसी से लिया गया है।
  • भक्ति योग: यह हमें ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाता है। सच्चे हृदय से ईश्वर की भक्ति करने पर वह सभी पापों को हर लेते हैं।
  • ज्ञान योग: यह हमें आत्मज्ञान और ब्रह्म ज्ञान की ओर ले जाता है। यह योग हमें बताता है कि आत्मा अमर है और शरीर केवल एक वस्त्र है, जिसे समय-समय पर बदलना पड़ता है।

इन तीनों योगों के माध्यम से गीता हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन और शांति बनाए रखने का तरीका सिखाती है।

🎁 मोक्षदा एकादशी के लाभ:

मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  • पापों से मुक्ति: यह व्रत सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पापों का नाश करने वाला माना जाता है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह एकादशी मोक्ष प्रदान करती है, जिससे व्यक्ति को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से व्रत रखने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
  • मानसिक शांति: एकादशी पर पूजा और मंत्र जाप से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • पितरों को मोक्ष: यह व्रत पितरों को नर्क से मुक्ति दिलाकर उन्हें शांति प्रदान करता है।

🥣 एकादशी व्रत का पारण कैसे करें?

पारण का अर्थ है व्रत को तोड़ना। एकादशी व्रत का पारण सही समय पर करना बहुत महत्वपूर्ण है। व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले करना चाहिए।

  • पारण का समय: 2 दिसंबर 2025 को सुबह 06:14 बजे के बाद, लेकिन द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले।
  • पारण विधि: पारण करने से पहले, भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं। व्रत खोलने के लिए तुलसी की पत्तियों का सेवन करें। इसके बाद, सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • क्या खाएं: पारण के भोजन में चावल को छोड़कर अन्य सभी सात्विक चीजें जैसे फल, सब्जियां, दूध, दही, और दालें शामिल कर सकते हैं।

🍎 एकादशी व्रत में क्या खाएं?

एकादशी व्रत में अन्न और अनाज का सेवन नहीं किया जाता है। इसकी जगह आप ये चीजें खा सकते हैं:

  • फल: केला, सेब, संतरा, अनार, पपीता आदि।
  • सब्जियां: आलू, शकरकंद, गाजर, कद्दू। इन्हें सेंधा नमक के साथ पकाकर खा सकते हैं।
  • डेयरी उत्पाद: दूध, दही, पनीर, छाछ।
  • अन्य: साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, राजगीरा, मखाना, मूंगफली।
  • पानी: यदि आप निर्जला व्रत नहीं कर रहे हैं, तो पर्याप्त मात्रा में पानी और फलों का रस पीते रहें।

ध्यान रखें कि प्याज और लहसुन का सेवन बिल्कुल न करें।

🌟 मोक्षदा एकादशी के कुछ अन्य विशेष मंत्र:

इन मंत्रों का जाप करने से आपको एकादशी के दिन और भी अधिक लाभ मिल सकता है:

  • विष्णु गायत्री मंत्र: “ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥”
  • विष्णु स्तुति: “शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम्। लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥”

इन मंत्रों का जाप करने से मन को शांति मिलती है और भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।

🌿 व्रत से जुड़े वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण:

एकादशी व्रत केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

  • पाचन तंत्र: एकादशी पर अन्न का त्याग करने से शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है। इससे शरीर की आंतरिक शुद्धि होती है।
  • चंद्रमा का प्रभाव: चंद्रमा का प्रभाव पृथ्वी के जल पर पड़ता है, और हमारा शरीर 70% पानी से बना है। एकादशी पर व्रत करने से शरीर पर चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
  • आत्म-नियंत्रण: व्रत हमें आत्म-अनुशासन और आत्म-नियंत्रण सिखाता है, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है।
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