Shakambari Purnima 2026: तिथि, मुहूर्त और माँ शाकम्भरी की पूजा विधि

3 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी शाकम्भरी पूर्णिमा। जानिए पूजा का सटीक मुहूर्त, शाकम्भरी नवरात्रि का समापन और माँ शाकम्भरी के दुर्लभ मंत्र हिंदी अर्थ सहित।
Maa Shakambari Devi idol decorated with fresh green vegetables and fruits for Purnima Puja 2026

शाकम्भरी पूर्णिमा (Shakambari Purnima 2026) केवल एक तिथि नहीं, बल्कि प्रकृति और अन्नपूर्णा स्वरूप माँ दुर्गा की उपासना का एक महापर्व है। पौष मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली यह जयंती, शाकम्भरी नवरात्रि (Shakambari Navratri) का समापन भी है। मान्यता है कि जब पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा था, तब माँ ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों से प्राणियों के प्राण बचाए थे।

इस लेख में, हम आपको वर्ष 2026 की शाकम्भरी पूर्णिमा की सटीक तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और वे दुर्लभ मंत्र प्रदान करेंगे जो अक्सर इंटरनेट पर आसानी से नहीं मिलते।

शाकम्भरी पूर्णिमा 2026: सही तिथि और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2026 में पौष पूर्णिमा और शाकम्भरी जयंती 3 जनवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। स्नान और दान के लिए भी यही दिन श्रेष्ठ है।

📅 पंचांग और मुहूर्त (Tithi Timings)

  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 2 जनवरी 2026, शाम 6:53 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 3 जनवरी 2026, दोपहर 3:33 बजे
  • उदयातिथि के अनुसार पर्व: 3 जनवरी 2026 (शनिवार)
  • स्नान-दान मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 5:25 से 6:20 तक)

यदि आप वर्ष भर की अन्य पूर्णिमा तिथियों की जानकारी चाहते हैं, तो हमारा 2026 Purnima Calendar अवश्य देखें।

शाकम्भरी नवरात्रि 2026 का समापन (Shakambari Navratri End)

शाकम्भरी नवरात्रि का आरम्भ पौष शुक्ल अष्टमी से होता है और इसका समापन पौष पूर्णिमा (शाकम्भरी पूर्णिमा) पर होता है।

  • प्रारम्भ: 27/28 दिसंबर 2025 (पौष शुक्ल अष्टमी)
  • समापन: 3 जनवरी 2026 (पौष पूर्णिमा)

इस नवरात्रि में विशेष रूप से हरी सब्जियों, फलों और कंदमूल का भोग माँ को लगाया जाता है। यह पर्व लोहड़ी के आसपास ही पड़ता है, जो फसल का उत्सव है। उत्तर भारत में लोहड़ी (Lohri 2026) की धूम भी इसी माह में देखने को मिलती है।

माँ शाकम्भरी की पूजा विधि (Actionable Puja Steps)

भक्त अक्सर इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि माँ शाकम्भरी की पूजा कैसे भिन्न है। यहाँ सरल और प्रामाणिक विधि दी गई है:

  1. सब्जियों का मंडप: पूजा स्थान को ताजी हरी सब्जियों (पालक, धनिया, बैंगन, गाजर) और फलों से सजाएं। यह माँ शाकम्भरी का सबसे प्रिय श्रृंगार है।
  2. स्थापना: एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माँ दुर्गा या माँ शाकम्भरी का चित्र स्थापित करें।
  3. कलश स्थापना: जल से भरा कलश स्थापित करें और उसमें आम के पत्ते व नारियल रखें।
  4. भोग: हलवा-पूड़ी के साथ-साथ ‘शाक’ (सब्जी) का भोग अवश्य लगाएं।
  5. मंत्र जाप: नीचे दिए गए विशिष्ट मंत्रों का 108 बार जाप करें।

माँ शाकम्भरी के दुर्लभ मंत्र (Specific Mantras)

इंटरनेट पर सामान्य दुर्गा मंत्र मिल जाते हैं, लेकिन शाकम्भरी देवी को प्रसन्न करने के लिए इन सिद्ध मंत्रों का प्रयोग करें:

1. शाकम्भरी गायत्री मंत्र

संस्कृत:
ॐ शाकम्भर्यै विद्महे, शताक्ष्यै च धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

अर्थ: हम माँ शाकम्भरी को जानते हैं, सौ नेत्रों वाली देवी का ध्यान करते हैं। वह देवी हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।

2. नाम मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं शाकम्भर्यै नमः॥

पूजा के बाद आरती करें और गरीबों को अन्न या कच्ची सब्जियां दान करें। इस दिन दान का महत्व अमावस्या के पितृ तर्पण जितना ही पुण्यकारी माना जाता है।

निष्कर्ष

शाकम्भरी पूर्णिमा 2026 (Shakambari Purnima 2026) हमें प्रकृति के संरक्षण और अन्न के सम्मान का संदेश देती है। 3 जनवरी 2026 को इस विधि-विधान से पूजा कर आप भी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव भक्तों के लिए भी यह माह विशेष है, जिसके लिए आप प्रदोष व्रत कैलेंडर 2026 देख सकते हैं।

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