दीपोत्सव 2025: रोशनी, खुशियाँ और समृद्धि का महापर्व
दीपावली, यानी लक्ष्मी पूजा का पावन पर्व, मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में लक्ष्मी जी की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त होता है और रात शुरू होती है। सटीक मुहूर्त के लिए अपने स्थानीय पंचांग का अवश्य अवलोकन करें।
दीपावली, जिसे दीपावली या रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख और सबसे बड़ा पर्व है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली का अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति’, और यह अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भारतीय समुदायों द्वारा बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।
✨ दीपावली का महत्व:
यह त्योहार कई पौराणिक घटनाओं और धार्मिक विश्वासों से जुड़ा है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं:
- भगवान राम की अयोध्या वापसी: यह सबसे प्रसिद्ध मान्यता है। 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने पूरे नगर को दीपों से जगमगा दिया था, तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
- देवी लक्ष्मी का प्राकट्य: यह माना जाता है कि दीपावली की रात को ही माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन उनकी पूजा धन, समृद्धि और सौभाग्य के लिए की जाती है।
- नरकासुर का वध: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) के दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसने 16,000 महिलाओं को बंदी बना रखा था। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- जैन धर्म में महत्व: जैन धर्म में, दीपावली भगवान महावीर के निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त करने का प्रतीक है।
📖 दीपावली का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संदर्भ:
दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि कई युगों की महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रतीक है। इसका उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और कथाओं में मिलता है:
- रामायण: इस पर्व का सबसे प्रमुख संबंध भगवान राम की अयोध्या वापसी से है। रावण का वध करके राम के लौटने पर, लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था।
- महाभारत: मान्यता है कि पांडव 12 साल के वनवास और एक साल के अज्ञातवास के बाद दीपावली के दिन ही हस्तिनापुर लौटे थे। इस खुशी में नागरिकों ने दीये जलाए थे।
- जैन धर्म: जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को इसी दिन मोक्ष प्राप्त हुआ था। इसलिए जैन समुदाय इसे “महावीर निर्वाण दिवस” के रूप में मनाते हैं।
- सिख धर्म: सिखों के लिए यह ‘बंदी छोड़ दिवस’ है। इस दिन सिखों के छठे गुरु, हरगोबिंद जी, 52 राजाओं के साथ ग्वालियर किले से रिहा हुए थे।
- आध्यात्मिक अर्थ: दीपावली का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है। यह केवल बाहरी रोशनी का नहीं, बल्कि ‘अंदर की रोशनी’ का त्योहार है। यह अज्ञानता के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से दूर करने का संदेश देता है।
🪔 दीया और उसकी आध्यात्मिक महत्ता:
दीपावली का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक दीया है। यह सिर्फ एक सजावटी वस्तु नहीं, बल्कि जीवन के कई गहरे सत्यों का प्रतीक है:
- प्रकाश का प्रतीक: दीया ज्ञान और जागरूकता का प्रतीक है। जिस तरह दीया अंधकार को मिटाता है, उसी तरह ज्ञान हमारे जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है।
- त्याग और परोपकार: दीया स्वयं जलकर दूसरों को रोशनी देता है। यह हमें निस्वार्थता, सेवा और त्याग का संदेश देता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: दीये की रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सकारात्मकता लाती है। यही कारण है कि इसे पूजा और शुभ कार्यों में शामिल किया जाता है।
- पंचमहाभूतों का संगम: दीया मिट्टी से बनता है (पृथ्वी), तेल या घी से जलता है (जल, पृथ्वी), बाती (अग्नि), और हवा की उपस्थिति में जलता है (वायु)। इस प्रकार यह पांच महाभूतों का प्रतिनिधित्व करता है।
🙏 लक्ष्मी पूजा थाली और सामग्री:
लक्ष्मी पूजा की थाली में रखी गई हर एक वस्तु का अपना एक विशेष महत्व होता है। यह सिर्फ पूजा का सामान नहीं, बल्कि समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करने का प्रतीक है। आपकी थाली में ये चीजें होनी चाहिए:
- गणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमा: पूजा का केंद्र।
- पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण।
- कुमकुम और चावल: तिलक लगाने और पूजा में प्रयोग करने के लिए।
- फूल: विशेषकर कमल का फूल, जो देवी लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है।
- फल और मिठाई: मौसमी फल और पारंपरिक मिठाइयां जैसे बताशा, खीर, और लड्डू।
- दीपक: तेल या घी के दीये, जो ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक हैं।
- अगरबत्ती और धूप: वातावरण को शुद्ध करने और सुगंध फैलाने के लिए।
- सिक्के या नोट: धन और समृद्धि के प्रतीक।
🏛️ गणेश और लक्ष्मी जी के प्रमुख मंदिर:
भारत में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को समर्पित कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहाँ हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। ये मंदिर अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और स्थापत्य कला के लिए जाने जाते हैं।
भगवान गणेश के प्रमुख मंदिर:
- सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई: यह भगवान गणेश का सबसे प्रसिद्ध और पूजनीय मंदिर है। मान्यता है कि यहाँ मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है, इसलिए इसे ‘मनोकामना सिद्धि’ का मंदिर भी कहते हैं।
- डगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर, पुणे: पुणे का यह मंदिर अपनी भव्य गणेश प्रतिमा के लिए जाना जाता है। हर साल गणेश चतुर्थी पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
- मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर: जयपुर में स्थित यह प्राचीन मंदिर भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहाँ गणेश जी की प्रतिमा को बिना सूंड के एक ही पत्थर से तराशा गया है।
देवी लक्ष्मी के प्रमुख मंदिर:
- महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई: मुंबई में समुद्र के किनारे स्थित यह मंदिर माता लक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर धन और समृद्धि की देवी के रूप में बहुत प्रसिद्ध है।
- श्री महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर: यह 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ माता लक्ष्मी ने कोल्हासुर नामक राक्षस का वध किया था।
- पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, लेकिन यहाँ की अपार संपत्ति के कारण इसे देवी लक्ष्मी का निवास स्थान भी माना जाता है। यह भारत के सबसे धनी मंदिरों में से एक है।
- लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर), दिल्ली: यह आधुनिक मंदिर अपनी सुंदर स्थापत्य कला और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है। यहाँ माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा एक साथ की जाती है।
🌟 गणेश और लक्ष्मी जी के कुछ अनोखे नाम और उनके अर्थ:
भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को उनके विभिन्न गुणों, रूपों और शक्तियों के कारण कई नामों से जाना जाता है। यहाँ उनके कुछ कम ज्ञात और सुंदर नाम और उनके अर्थ दिए गए हैं:
भगवान गणेश के नाम:
- एकदंत (Ekadanta): इसका अर्थ है ‘एक दांत वाले’। यह नाम उस घटना से जुड़ा है जब परशुराम के साथ युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था। यह नाम उनके बलिदान और शक्ति को दर्शाता है।
- लंबोदर (Lambodara): इसका अर्थ है ‘बड़े पेट वाले’। गणेश जी का बड़ा पेट दर्शाता है कि वे ब्रह्मांड के सभी सुख-दुःख अपने अंदर समाहित कर लेते हैं।
- वक्रतुण्ड (Vakratunda): इसका अर्थ है ‘मुड़ी हुई सूंड वाले’। यह दर्शाता है कि वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
- हेरम्ब (Heramba): यह नाम ‘हेर’ (कमजोर) और ‘अंबा’ (मां) से बना है। इसका अर्थ है ‘जो कमजोरों की रक्षा करते हैं’।
- विघ्नराज (Vighnaraja): इसका अर्थ है ‘बाधाओं के राजा’। यह नाम उनकी बाधाओं को दूर करने की शक्ति को दर्शाता है।
देवी लक्ष्मी के नाम:
- पद्मावती (Padmavati): ‘कमल पर रहने वाली’। यह नाम उनके कमल के आसन पर विराजमान होने को दर्शाता है, जो शुद्धता और दिव्यता का प्रतीक है।
- इंदिरा (Indira): इसका अर्थ है ‘सुंदर’ या ‘कमल’। यह नाम उनकी सुंदरता और कमल से जुड़ाव को दर्शाता है।
- जलधि-जा (Jaladhi-ja): ‘समुद्र से जन्मी’। यह नाम उस कथा से जुड़ा है जिसमें माता लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था।
- रमा (Rama): इसका अर्थ है ‘खुशी’ या ‘आनंद’। यह नाम उनकी आनंद और सुख लाने की शक्ति को दर्शाता है।
- वैष्णवी (Vaishnavi): ‘भगवान विष्णु से जुड़ी हुई’। यह नाम उनके भगवान विष्णु की शक्ति और अर्धांगिनी होने को दर्शाता है।
🕉️ भगवान गणेश के प्रमुख मंत्र:
दीपावली की पूजा में गणेश जी की आराधना सबसे पहले की जाती है। उनके मंत्रों का जाप करने से सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं।
- गणेश गायत्री मंत्र: “ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥”
अर्थ: हम एक दांत वाले, मुड़ी हुई सूंड वाले भगवान गणेश को जानते हैं और उन पर ध्यान करते हैं। वे हमें सही मार्ग की ओर प्रेरित करें।
- वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र: “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
अर्थ: हे घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी भगवान, मेरे सभी कार्यों को हमेशा बाधा रहित बनाएं।
- गणेश बीज मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः॥”
अर्थ: यह मंत्र भगवान गणेश के प्रति सम्मान और समर्पण व्यक्त करता है। इसे सबसे सरल और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है जो बाधाओं को दूर करता है।
- संकट नाशन गणेश स्तोत्र: यह स्तोत्र भगवान गणेश के 12 नामों का जाप है, जिसे नियमित रूप से करने से सभी संकट दूर होते हैं। इसके प्रमुख नाम हैं: सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्ननाशन, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन।
💰 देवी लक्ष्मी के प्रमुख मंत्र:
दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इन मंत्रों का जाप करने से धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- महालक्ष्मी मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः॥”
अर्थ: हे महालक्ष्मी, जो कमल पर विराजमान हैं और कमल का घर हैं, आप मुझ पर प्रसन्न हों। हे महालक्ष्मी, आपको मेरा प्रणाम। यह मंत्र धन, समृद्धि, और सफलता के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है।
- लक्ष्मी बीज मंत्र: “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥”
अर्थ: यह देवी लक्ष्मी का मूल बीज मंत्र है। ‘ह्रीं’ माया बीज है और ‘श्रीं’ लक्ष्मी बीज है, जो धन और सौंदर्य का प्रतीक है। इस मंत्र का नियमित जाप आर्थिक समृद्धि लाता है।
- श्री सूक्तम् (Shri Suktam): यह ऋग्वेद में वर्णित एक वैदिक स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह मंत्रों का एक समूह है, जिसका पाठ करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसे धन की देवी को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।
💰 दीपावली का सामाजिक और आर्थिक महत्व:
दीपावली केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है:
- परिवार और समुदाय का मिलन: यह समय है जब लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं, उपहार और मिठाइयाँ साझा करते हैं। यह आपसी संबंधों को मजबूत करता है।
- व्यापार और अर्थव्यवस्था: दीपावली भारत में सबसे बड़े खरीदारी के मौसम में से एक है। नए कपड़े, गहने, घर की सजावट के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य वस्तुओं की बिक्री में भारी वृद्धि होती है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
- दान और परोपकार: यह त्योहार दान-पुण्य के लिए भी जाना जाता है। लोग गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करते हैं, जिससे समाज में सद्भाव और करुणा बढ़ती है।
🌿 एक पर्यावरण-अनुकूल दीपावली की ओर:
आजकल, पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती चिंता को देखते हुए, “ग्रीन दीपावली” का चलन बढ़ रहा है। आप इस तरह दीपावली मना सकते हैं:
- मिट्टी के दीये: प्लास्टिक और चीनी लाइटिंग के बजाय, मिट्टी के दीये जलाएं। यह पर्यावरण के अनुकूल है और स्थानीय कारीगरों को भी समर्थन देता है।
- कम पटाखे: वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कम पटाखे फोड़ें या पूरी तरह से पटाखों का बहिष्कार करें।
- इको-फ्रेंडली सजावट: प्लास्टिक की सजावट के बजाय, फूलों, रंगोली और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
- जैविक मिठाई: घर पर बनी या जैविक सामग्री से बनी मिठाइयाँ खाएं।
🏛️ दीपावली की क्षेत्रीय विविधताएँ:
भारत एक विशाल देश है और यहाँ हर राज्य में दीपावली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं:
- पश्चिम बंगाल: यहाँ दीपावली पर काली पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन माँ काली की पूजा की जाती है और भक्त उनके उग्र रूप की आराधना करते हैं।
- दक्षिण भारत: तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में नरक चतुर्दशी का महत्व अधिक है। यहाँ लोग सुबह जल्दी उठकर तेल स्नान करते हैं, जिसे गंगा स्नान के समान पवित्र माना जाता है।
- महाराष्ट्र: यहाँ दिवाली की शुरुआत वसु बारस (गोवत्स द्वादशी) से होती है, जो गाय और बछड़े के सम्मान में मनाया जाता है। इसके बाद धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, और भाई दूज मनाया जाता है।
- ओडिशा: यहाँ दिवाली पर “कौड़िया काठी” की परंपरा है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए एक विशेष दीपक जलाते हैं।
- पंजाब: यहाँ दीपावली को ‘रोशनी का त्योहार’ और ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग गुरुद्वारों में जाकर प्रार्थना करते हैं और मोमबत्तियाँ जलाते हैं।
🎨 सजावट और परंपराएँ:
दीपावली पर घर को सजाने की परंपरा भी बहुत पुरानी है, जो त्योहार की रौनक बढ़ाती है:
- रंगोली: लोग अपने घरों के बाहर और अंदर, विशेषकर पूजा स्थल पर, रंगोली बनाते हैं। यह कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ-साथ शुभता का प्रतीक भी है।
- दीपक और लाइटिंग: मिट्टी के दीयों के अलावा, आजकल लोग LED लाइट्स और मोमबत्तियों का भी खूब इस्तेमाल करते हैं। ये रोशनी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
- नए कपड़े और उपहार: दीपावली पर नए कपड़े पहनना और एक-दूसरे को उपहार देना खुशी और सद्भाव को बढ़ाता है। यह एक सामाजिक परंपरा भी है, जो रिश्तों को मजबूत करती है।
- व्यावसायिक महत्व: दीपावली कई व्यवसायों के लिए नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। व्यापारी इस दिन ‘बही-खाता’ पूजा करते हैं, जिसे ‘शारदा पूजा’ भी कहते हैं।
🍲 दीपावली पर बनाए जाने वाले पारंपरिक व्यंजन:
दीपावली का त्योहार स्वादिष्ट पकवानों के बिना अधूरा है। इस दौरान भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं:
- मिठाइयाँ: बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, बर्फी, गुलाब जामुन, जलेबी और मालपुआ।
- नमकीन और स्नैक्स: चिवड़ा, शंकरपाली, सेव, चकली और मठरी।
- क्षेत्रीय व्यंजन:
- उत्तर भारत: पूड़ी-सब्जी, खीर, कचौरी।
- दक्षिण भारत: इडली, डोसा, अप्पम और स्वादिष्ट पोंगल।
- पश्चिम बंगाल: इस क्षेत्र में इसे काली पूजा के रूप में मनाया जाता है, और यहाँ मिठाइयाँ और माँसाहारी व्यंजन भी बनते हैं।
💡 दीपावली से जुड़ी कुछ अनजानी बातें:
- दीपावली पर पटाखे फोड़ने की परंपरा चीन से शुरू हुई, जहां पटाखों का आविष्कार किया गया था।
- सिख धर्म में, दीपावली को ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जब छठे सिख गुरु, हरगोबिंद जी, को मुगल जेल से रिहा किया गया था।
- दीपावली को भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, सिंगापुर, मलेशिया, मॉरीशस और फिजी जैसे देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
- लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त अक्सर शाम को होता है क्योंकि इस समय स्थिर लग्न होता है, जो देवी लक्ष्मी को घर में स्थायी रूप से ठहराने में मदद करता है।
📜 दीपावली की पौराणिक कथाएँ:
दीपावली से जुड़ी कुछ और महत्वपूर्ण कथाएँ इस प्रकार हैं, जो इसके आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती हैं:
- वामन अवतार और राजा बलि: भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि का दान माँगा था। पहले दो पगों में उन्होंने धरती और स्वर्ग को नाप लिया और तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना शीश आगे कर दिया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया और यह आशीर्वाद दिया कि साल में एक बार दीपावली के दिन राजा बलि धरती पर आकर अपने साम्राज्य को देख सकेंगे।
- मत्स्य पुराण की कथा: मत्स्य पुराण के अनुसार, दीपावली के दिन ही भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी को शाप से मुक्ति दिलाई थी, जिसके बाद लक्ष्मी जी वापस उनके साथ आ गईं।
- यमुना और यम की कथा: भाई दूज के दिन, बहन यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन पर बुलाया था। यमराज ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि जो भाई आज के दिन अपनी बहन के घर भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
✨ पाँच दिवसीय दीपावली उत्सव का विस्तृत विवरण:
दीपावली का उत्सव पाँच दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना एक विशेष महत्व है।
पहला दिन: धनतेरस
धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर, माता लक्ष्मी और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। लोग इस दिन नए बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण या वाहन खरीदते हैं, जिसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
दूसरा दिन: छोटी दीपावली (नरक चतुर्दशी)
इसे रूप चौदस भी कहते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने की परंपरा है, जिसे ‘अभ्यंग स्नान’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है। शाम को यमराज के लिए घर के बाहर एक दीया जलाया जाता है, जिसे ‘यम दीपक’ कहते हैं।
तीसरा दिन: दीपावली (लक्ष्मी पूजा)
यह मुख्य त्योहार का दिन है। इस दिन शाम को प्रदोष काल में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। घर को दीयों, मोमबत्तियों और रंगोली से सजाया जाता है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ मिलकर इस खुशी के पर्व को मनाते हैं।
चौथा दिन: गोवर्धन पूजा और अन्नकूट
इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। इस दिन गाय, बैल और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। लोग अन्नकूट भी मनाते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है।
पांचवा दिन: भाई दूज
यह भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इसे ‘यम द्वितीया’ भी कहते हैं। बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
🔬 दीपावली के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ:
इस त्योहार के पीछे कई वैज्ञानिक कारण भी हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए लाभदायक हैं:
- सफाई और स्वच्छता: दीपावली से पहले घर की साफ-सफाई करने की परंपरा होती है। यह घरों को कीटाणुओं और अशुद्धियों से मुक्त करती है, जो सर्दियों की शुरुआत से पहले आवश्यक है।
- तेल और घी के दीये: दीयों में इस्तेमाल होने वाला तेल या घी वातावरण को शुद्ध करता है और हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करता है। दीये की लौ हवा को भी साफ करती है।
- औषधीय उपयोग: इस दौरान उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक रंग और सामग्री, जैसे हल्दी और चंदन, औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: रोशनी और धूप-अगरबत्ती की सुगंध से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे मन शांत और प्रसन्न रहता है।