Angarki Sankashti Chaturthi 2026: तिथियां, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय

वर्ष 2026 में 3 बड़ी अंगारकी संकष्टी चतुर्थी आ रही हैं। जानिए 6 जनवरी, 5 मई और 29 सितंबर की तिथियां, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का सही समय।
Lord Ganesha idol decorated with red hibiscus flowers and durva grass for Angarki Chaturthi puja

Key Takeaways: 2026 की अंगारकी चतुर्थी

  • वर्ष 2026 में 3 बड़ी अंगारकी चतुर्थियां: 6 जनवरी, 5 मई, और 29 सितंबर।
  • विशेष संयोग: साल की शुरुआत ही (6 जनवरी) अंगारकी चतुर्थी के शुभ योग से हो रही है।
  • चंद्रोदय का महत्व: व्रत का समापन चंद्र दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है।

वर्ष 2026 भगवान गणेश के भक्तों के लिए बेहद खास होने वाला है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार (Tuesday) को पड़ती है, तो उसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी (Angarki Sankashti Chaturthi) कहा जाता है। यह सभी चतुर्थियों में सबसे फलदायी और शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि मात्र एक अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल की चतुर्थियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है।

यदि आप 2026 में सुख, समृद्धि और संकटों से मुक्ति चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए अनिवार्य है। आइये जानते हैं साल 2026 में अंगारकी चतुर्थी कब-कब है, इसकी पूजा विधि क्या है और चंद्रोदय का सही समय कैसे देखें।

Angarki Sankashti Chaturthi 2026 Date List (अंगारकी चतुर्थी तिथियां)

साल 2026 में भक्तों को भगवान गणपति की आराधना करने के लिए तीन विशेष अंगारकी चतुर्थियों का अवसर मिलेगा। जैसा कि हमने अपनी पिछली गाइड Sankashti Chaturthi 2026 Moonrise Calendar में विस्तार से बताया है, चंद्रोदय का समय हर शहर के लिए अलग होता है, लेकिन तिथियां पूरे भारत में मान्य रहेंगी।

दिनांक (Date)दिन (Day)चतुर्थी का नाम
6 जनवरी 2026मंगलवारलम्बोदर संकष्टी चतुर्थी
5 मई 2026मंगलवारएकदंत संकष्टी चतुर्थी
29 सितंबर 2026मंगलवारविघ्नराज संकष्टी चतुर्थी
Lord Ganesha Idol adorned with hibiscus flowers for Angarki Chaturthi
भगवान गणेश को लाल गुड़हल और दूर्वा अत्यंत प्रिय है।

खास बात यह है कि साल की पहली ही संकष्टी, जो कि माघ महीने (उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार) में आती है, वह अंगारकी योग बना रही है। यह Happy New Year 2026 Wishes भेजने के तुरंत बाद, आध्यात्मिक शुरुआत के लिए एक बेहतरीन अवसर है।

अंगारकी चतुर्थी का महत्व (Significance)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पृथ्वी माता के पुत्र ‘मंगल’ (अंगारक) ने भगवान गणेश की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वरदान दिया कि जो भी मंगलवार के दिन चतुर्थी का व्रत करेगा, उसके सारे विघ्न दूर हो जाएंगे और उस पर मंगल दोष का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

Quick Facts: अंगारक ऋषि की कथा

कहा जाता है कि माघ कृष्ण चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने अंगारक (मंगल देव) को दर्शन दिए थे। इसीलिए इस दिन व्रत करने से कर्ज मुक्ति, भूमि-भवन सुख और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

पूजन विधि (Puja Vidhi for 2026)

अंगारकी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्रोदय तक चलता है। सही विधि से पूजा करने पर ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

  1. प्रातः स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र धारण करें।
  2. गणेश स्थापना: पूजा की चौकी पर पीले या लाल कपड़े पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
  3. आवाहन: हाथ में अक्षत और फूल लेकर गणपति का ध्यान करें।
  4. भोग: भगवान को मोदक, दूर्वा (घास), गुड़ और तिल का भोग लगाएं। लाल गुड़हल का फूल (Hibiscus) गणेश जी को अति प्रिय है।
  5. आरती और मंत्र: ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का 108 बार जाप करें और अंगारकी व्रत कथा सुनें।

Your Action Checklist: पूजा सामग्री

  • दूर्वा (21 गांठे): गणेश पूजा के लिए अनिवार्य।
  • लाल फूल: विशेष रूप से गुड़हल (Hibiscus)।
  • नैवेद्य: तिल के लड्डू और मोदक।
  • पूजन सामग्री: रोली, चंदन, अक्षत, धूप और दीप।
  • चंद्र अर्घ्य पात्र: तांबे का लोटा, दूध और जल।

चंद्रोदय और अर्घ्य (Moonrise Rituals)

संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना पूरा नहीं होता। शाम को चंद्रोदय के समय, जल में थोड़ा दूध, अक्षत और लाल चंदन मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। ध्यान रहे, चंद्रोदय का समय हर स्थान पर अलग होता है। अधिक जानकारी के लिए आप Drik Panchang जैसी विश्वसनीय वेबसाइट्स या स्थानीय पंचांग का सहारा ले सकते हैं।

यह व्रत माघ मास में विशेष फलदायी होता है। इसी महीने में आने वाली Paush Purnima 2026 के स्नान के बाद, अंगारकी चतुर्थी का व्रत रखना आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

Sankashti Chaturthi Fasting Food Vrat Thali
संकष्टी चतुर्थी व्रत में सात्विक फलाहार का विशेष महत्व है।

व्रत के नियम और फलाहार (Fasting Rules)

इस व्रत में अन्न का त्याग किया जाता है। भक्त केवल फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। साबूदाना खिचड़ी, मूंगफली, आलू और ताजे फल खाए जा सकते हैं। नमक के स्थान पर सेंधा नमक (Rock Salt) का प्रयोग करें।

Expert Pro-Tip

यदि आपके शहर में बादल छाए हैं और चंद्रमा दिखाई नहीं दे रहा है, तो पंचांग में दिए गए चंद्रोदय समय (Moonrise Time) के अनुसार दिशा मानकर अर्घ्य दिया जा सकता है। यह शास्त्रों में मान्य है।

2026 में तीन अंगारकी चतुर्थियों का संयोग बहुत शुभ है। 6 जनवरी, 5 मई और 29 सितंबर की तारीखें अपने कैलेंडर में अभी से मार्क कर लें। भगवान विघ्नहर्ता आपके जीवन के सभी कष्टों को हर लें, यही कामना है।

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