भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत हिंदू धर्म में अत्यधिक लोकप्रिय है। ‘संकष्टी’ का अर्थ है ‘संकट हरने वाली’। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और चंद्रमा को अर्घ्य देने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। यदि आप 2026 में संकष्टी चतुर्थी के व्रत की योजना बना रहे हैं, तो यहाँ हम आपके लिए पूरे साल का कैलेंडर, तिथियाँ और चंद्रोदय का समय (Moonrise Time) लेकर आए हैं।
अक्सर भक्त इंटरनेट पर धीमे लोड होने वाली इमेज वाली लिस्ट देखकर परेशान होते हैं। यहाँ दी गई फ़ास्ट-लोडिंग टेक्स्ट लिस्ट से आप तुरंत अपनी व्रत की तारीख और समय जान सकते हैं।
*नोट: चंद्रोदय का समय नई दिल्ली के मानक समय पर आधारित है। आपके शहर (मुंबई, जयपुर, इंदौर, आदि) में इसमें 15-30 मिनट का अंतर हो सकता है। कृपया स्थानीय पंचांग से मिलान करें।
💡 विशेष नोट: जिस प्रकार सफला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, उसी प्रकार संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल माध्यम है।
Sankashti Chaturthi 2026 Calendar & Moonrise Time
नीचे वर्ष 2026 की सभी संकष्टी चतुर्थी तिथियों की सूची दी गई है। इसमें मंगलवार को पड़ने वाली अंगारकी चतुर्थी को विशेष रूप से हाइलाइट किया गया है, जिसका महत्व सबसे अधिक होता है।| दिनांक (Date) | दिन (Day) | चतुर्थी का नाम | चंद्रोदय (Moonrise)* |
|---|---|---|---|
| 6 जनवरी 2026 | मंगलवार | लम्बोदर (अंगारकी) | 08:54 PM |
| 5 फरवरी 2026 | गुरुवार | द्विजप्रिय संकष्टी | 09:35 PM |
| 6 मार्च 2026 | शुक्रवार | भालचंद्र संकष्टी | 09:14 PM |
| 5 अप्रैल 2026 | रविवार | विकट संकष्टी | 09:54 PM |
| 5 मई 2026 | मंगलवार | एकदंत (अंगारकी) | 10:30 PM |
| 3 जून 2026 | बुधवार | विभुवन संकष्टी | 10:15 PM |
| 3 जुलाई 2026 | शुक्रवार | कृष्णपिंगल संकष्टी | 09:45 PM |
| 2 अगस्त 2026 | रविवार | गजानन संकष्टी | 09:10 PM |
| 31 अगस्त 2026 | सोमवार | बहुला / हेरम्ब | 08:45 PM |
| 29 सितम्बर 2026 | मंगलवार | विघ्नराज (अंगारकी) | 08:15 PM |
| 29 अक्टूबर 2026 | गुरुवार | वक्रतुण्ड (करवा चौथ) | 08:05 PM |
| 27 नवम्बर 2026 | शुक्रवार | गणाधिप संकष्टी | 08:30 PM |
| 26 दिसम्बर 2026 | शनिवार | आखुरथ संकष्टी | 09:00 PM |
अंगारकी चतुर्थी 2026 (Angarki Chaturthi) का महत्व
जब संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो उसे ‘अंगारकी चतुर्थी’ कहा जाता है। 2026 में 3 अंगारकी चतुर्थियां हैं:- 6 जनवरी (लम्बोदर)
- 5 मई (एकदंत)
- 29 सितम्बर (विघ्नराज)
संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि (Rituals)
यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होकर रात में चंद्रमा के दर्शन तक चलता है। सही विधि इस प्रकार है:- संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा: भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा, मोदक और लाल फूल अर्पित करें।
- मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः” का 108 बार जाप करें।
- चंद्र पूजा: रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को जल (अर्घ्य), अक्षत और फूल अर्पित करें।
- पारण: अर्घ्य देने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करें।
अर्घ्य देने का सही तरीका
Insight: कई लोग बिना अर्घ्य दिए व्रत खोल लेते हैं, जो गलत है। तांबे के लोटे में जल, थोड़ा सा दूध, रोली और अक्षत मिलाएं। चंद्रमा की ओर देखते हुए धीरे-धीरे जल छोड़ें और सुख-शांति की प्रार्थना करें। अगर आपके शहर में बादल हों, तो पंचांग के समय अनुसार मानसिक पूजा करके व्रत खोला जा सकता है।











