वृश्चिक संक्रांति 2025: तिथि, महत्व और पूजा विधि
वृश्चिक संक्रांति रविवार, 16 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। संक्रांति काल स्नान और दान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है, क्योंकि यह सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को दर्शाती है। **वृश्चिक संक्रांति** वह दिन है जब सूर्य तुला राशि को छोड़कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा का विशेष पुण्य माना गया है। यह दिन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो ज्योतिष में विश्वास रखते हैं, क्योंकि सूर्य का राशि परिवर्तन सभी राशियों पर अपना प्रभाव डालता है।
✨ वृश्चिक संक्रांति का महत्व:
संक्रांति के दिन किया गया दान और स्नान बहुत फलदायी होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में मान-सम्मान, आरोग्य और सुख-समृद्धि आती है।
- सूर्य पूजा: इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
- रोग मुक्ति: सूर्य को आरोग्य का देवता माना जाता है, और इस दिन उनकी पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- पितृ तर्पण: इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष दूर होता है।
- दान: वृश्चिक संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र और अन्न का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
🙏 स्नान, पूजा और दान की विधि:
वृश्चिक संक्रांति के दिन किए जाने वाले अनुष्ठान इस प्रकार हैं:
- प्रातः स्नान: संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्य को अर्घ्य: स्नान के बाद, सूर्य देव को अर्घ्य दें। एक तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन और लाल फूल मिलाकर सूर्य को चढ़ाएं। अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- पूजा: सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं। उन्हें लाल फूल, अक्षत और मिठाई अर्पित करें। सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना बहुत शुभ होता है।
- दान: इस दिन अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करें। आप तिल, गुड़, गेहूं, चावल, वस्त्र या कंबल का दान कर सकते हैं। गाय को हरा चारा खिलाना भी पुण्य का काम माना जाता है।
💡 वृश्चिक संक्रांति से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व:
ज्योतिष के अलावा, संक्रांति का एक वैज्ञानिक महत्व भी है। सूर्य का राशि परिवर्तन मौसम में बदलाव लाता है। वृश्चिक संक्रांति के बाद से मौसम धीरे-धीरे ठंडा होने लगता है, और यही कारण है कि इस समय तिल, गुड़ और मेवों का सेवन लाभकारी माना जाता है।
अन्य संक्रांति:
वर्ष भर में 12 संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से मकर संक्रांति, कर्क संक्रांति, और मेष संक्रांति प्रमुख हैं। प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश, जिसे वृश्चिक संक्रांति कहते हैं, कार्तिक मास में पड़ता है और इसका संबंध दीपावली के बाद आने वाले पर्वों से भी होता है।
📖 पौराणिक कथा: सूर्य देव और उनके रथ का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। इन घोड़ों के नाम गायत्री, बृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं, जो सात वैदिक छंदों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस रथ के सारथी अरुण देव हैं, जो गरुड़ के बड़े भाई हैं। सूर्य देव के रथ का एक पहिया है, जो वर्ष के चक्र का प्रतीक है। सूर्य की यह यात्रा निरंतर चलती रहती है, जो जीवन और समय के चक्र को दर्शाती है। वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा करने से उनके रथ के सात घोड़ों की तरह जीवन में गति, ऊर्जा और बल की प्राप्ति होती है।
🌌 ज्योतिषीय महत्व: सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश
ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता, सम्मान और सरकारी कार्यों का कारक ग्रह माना जाता है। वृश्चिक राशि जल तत्व की राशि है, जो रहस्य, परिवर्तन और गहन भावनाओं का प्रतीक है। जब सूर्य इस राशि में प्रवेश करते हैं, तो व्यक्ति के स्वभाव में परिवर्तन आता है। इस दौरान लोगों में आत्मविश्वास, दृढ़ता और जीवन को गहराई से समझने की इच्छा बढ़ सकती है। यह समय उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है जिनकी कुंडली में सूर्य वृश्चिक राशि में स्थित हो।
🏛️ सूर्य देव के प्रमुख मंदिर
भारत में सूर्य देव को समर्पित कई प्राचीन और भव्य मंदिर हैं, जो उनकी पूजा के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं। वृश्चिक संक्रांति पर इन मंदिरों के दर्शन करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
- कोणार्क सूर्य मंदिर (ओडिशा): यह 13वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे सूर्य देव के रथ के आकार में बनाया गया है। यह अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- मोढेरा सूर्य मंदिर (गुजरात): यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश द्वारा बनवाया गया था और अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है।
- सूर्य मंदिर (गया, बिहार): इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में मिलता है और यहाँ साल भर सूर्य देव की पूजा होती है।
- सूर्य पहाड़ मंदिर (असम): यह एक पहाड़ी पर स्थित प्राचीन मंदिर है, जिसे असम का दूसरा कोणार्क भी कहा जाता है।
🕉️ सूर्य देव के प्रमुख नाम
सूर्य देव के अनेक नाम हैं, जिनमें से प्रत्येक उनके किसी विशेष गुण या स्वरूप को दर्शाता है। इन नामों का जाप करने से जीवन में सकारात्मकता आती है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है:
- आदित्य: अदिति के पुत्र।
- भास्कर: प्रकाश देने वाले।
- दिवाकर: दिन को बनाने वाले।
- रवि: सभी प्राणियों के लिए शुभ।
- मार्तण्ड: मृत अंडे से उत्पन्न।
- अर्क: किरणों से युक्त।
- अंशुमान: किरणों का समूह।
- मित्र: सभी के मित्र।
🙏 पितृ तर्पण का महत्व:
वृश्चिक संक्रांति का दिन पितरों को तर्पण करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और पितृ दोष को दूर करने के लिए निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं:
- तर्पण: स्नान के बाद, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों के लिए तर्पण करें। जल में काला तिल मिलाकर हथेली से धीरे-धीरे गिराएं।
- पिंडदान: यदि संभव हो तो पिंडदान करें।
- दान: ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।
- मंत्र जाप: पितरों की शांति के लिए गायत्री मंत्र का जाप करें।
माना जाता है कि इस दिन किया गया पितृ तर्पण सीधे पितरों तक पहुंचता है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
🍏 वृश्चिक संक्रांति पर क्या खाएं और क्या न खाएं:
संक्रांति के बाद मौसम में बदलाव आने लगता है, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
- क्या खाएं:
- तिल और गुड़: यह शरीर को गर्म रखने और ऊर्जा देने में मदद करता है।
- मेवे और सूखे फल: ये शरीर को ताकत देते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
- हरी सब्जियां: मौसमी हरी सब्जियां खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
- क्या न खाएं:
- तामसिक भोजन: प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा से दूर रहें।
- बासी भोजन: इस दिन बासी भोजन करने से बचें।
- ज्यादा तला-भुना खाना: भारी और तला हुआ भोजन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।