2026 की अमावस्या तिथियां: पूर्वजों के आशीर्वाद पाने का अचूक कैलेंडर

साल 2026 की सभी अमावस्या तिथियों के बारे में जानें, जो पूर्वजों के आशीर्वाद और आध्यात्मिक शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें माघ, शनि, अधिक और दिवाली अमावस्या जैसी प्रमुख तिथियां शामिल हैं।
2026 की अमावस्या तिथि कैलेंडर, मिट्टी के दीये और तर्पण के लिए चढ़ावे के साथ अमावस्या की रात का एक प्रतीकात्मक चित्रण।
क्या आप उन लाखों लोगों में से एक हैं जो अक्सर सोचते हैं कि ‘आज अमावस्या है या कल?’ या ‘मेरे पूर्वजों के लिए तर्पण का सबसे अच्छा समय कब है?’ यदि हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। आधुनिक जीवनशैली में कई बार हम अपनी जड़ों से जुड़े महत्वपूर्ण पंचांग की तिथियों को भूल जाते हैं। लेकिन जब बात पूर्वजों के आशीर्वाद और शांति की हो, तो अमावस्या तिथि का महत्व अतुलनीय है। यह सिर्फ एक चंद्र कला का अंत नहीं, बल्कि पितरों की पूजा, तर्पण और दान-पुण्य के लिए सबसे शुभ मानी जाने वाली तिथि है।
💡 Key Insights
  • साल 2026 में कुल 12 अमावस्याएं पड़ेंगी, जिनमें एक अधिक अमावस्या भी शामिल है।
  • माघ अमावस्या (18 जनवरी), शनि अमावस्या (16 मई), और कार्तिक अमावस्या (9 नवंबर, दिवाली) प्रमुख अमावस्याएं होंगी।
  • पितरों की शांति और मोक्ष के लिए अमावस्या तिथि पर तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य विशेष फलदायी माना गया है।

पूर्वजों के लिए अमावस्या का महत्व: क्यों है यह दिन खास?

हिंदू धर्म में, अमावस्या तिथि को पितृदेव का स्वामी माना जाता है। यह वह दिन है जब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है, जिससे पृथ्वी पर एक विशेष ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह ऊर्जा पितरों को समर्पित कर्मकांडों, जैसे तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन किए गए अनुष्ठानों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। यदि आप पितृ दोष से मुक्ति चाहते हैं या अपने पूर्वजों का सम्मान करना चाहते हैं, तो अमावस्या पर किए गए उपाय बहुत प्रभावी हो सकते हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, आप हमारे पिछले लेख “पौष अमावस्या 2025: पितरों की शांति और समृद्धि का महापर्व” को भी पढ़ सकते हैं।

2026 की अमावस्या तिथियां: एक नज़र में

साल 2026 में कुल 12 अमावस्याएं पड़ेंगी, जिनमें एक अधिक अमावस्या भी शामिल है। हमने आपके लिए इन सभी महत्वपूर्ण तिथियों की एक विस्तृत सूची तैयार की है, ताकि आप अपने पूर्वजों के लिए आवश्यक अनुष्ठानों की योजना पहले से बना सकें:
तिथि दिन अमावस्या का नाम / प्रकार विशेष महत्व
18 जनवरी 2026 रविवार माघ अमावस्या (मौनी अमावस्या) पवित्र स्नान, दान, मौन व्रत और पितृ तर्पण के लिए अत्यंत शुभ।
17 फरवरी 2026 मंगलवार फाल्गुन अमावस्या फाल्गुन शिवरात्रि के बाद आती है, आध्यात्मिक शांति के लिए महत्वपूर्ण।
19 मार्च 2026 गुरुवार चैत्र अमावस्या हिंदू नववर्ष की शुरुआत से पहले, पितरों को विदाई देने का दिन।
17 अप्रैल 2026 शुक्रवार वैशाख अमावस्या (सतुवाई अमावस्या) शनि जयंती के लिए कुछ मान्यताओं में महत्वपूर्ण।
16 मई 2026 शनिवार ज्येष्ठ अमावस्या (शनि अमावस्या, वट सावित्री अमावस्या) शनिदेव और वट सावित्री की पूजा के लिए विशेष।
15 जून 2026 रविवार ज्येष्ठ अधिक मास अमावस्या अधिक मास की अमावस्या, दान-पुण्य का विशेष महत्व।
14 जुलाई 2026 मंगलवार आषाढ़ अमावस्या (हलहारिणी अमावस्या) किसानों द्वारा हल की पूजा, पितरों के लिए भी शुभ।
12 अगस्त 2026 बुधवार श्रावण अमावस्या (हरियाली अमावस्या) भगवान शिव को समर्पित मास में पितृ पूजा और प्रकृति का सम्मान।
11 सितंबर 2026 गुरुवार भाद्रपद अमावस्या (कुशग्रहणी अमावस्या) कुशा घास एकत्रित करना शुभ, पितरों के लिए तर्पण।
10 अक्टूबर 2026 शनिवार आश्विन अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या, शनि अमावस्या) पितृ पक्ष का अंतिम दिन, सभी पितरों के लिए श्राद्ध और शनिदेव की पूजा।
9 नवंबर 2026 सोमवार कार्तिक अमावस्या (दिवाली अमावस्या) दीपावली, लक्ष्मी पूजा और पितरों के लिए दीपदान।
8 दिसंबर 2026 मंगलवार मार्गशीर्ष अमावस्या मोक्ष और पितृ शांति के लिए दान-पुण्य का दिन।
अधिक जानकारी के लिए आप द्रिक पंचांग (Drik Panchang) जैसी विश्वसनीय वेबसाइट्स देख सकते हैं।

प्रमुख अमावस्याएं और उनका विशेष महत्व

  • माघ अमावस्या (मौनी अमावस्या): 18 जनवरी 2026 को पड़ने वाली यह अमावस्या साल की पहली और सबसे पवित्र अमावस्याओं में से एक है। इस दिन मौन व्रत रखने, पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है, और पितरों को शांति मिलती है।
  • ज्येष्ठ अमावस्या (शनि अमावस्या): 16 मई 2026 को यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है, इसलिए यह शनि अमावस्या कहलाएगी। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष और साढ़े साती के प्रभावों को कम किया जा सकता है। इसी दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है।
  • ज्येष्ठ अधिक मास अमावस्या: 15 जून 2026 को यह अधिक मास की अमावस्या पड़ेगी। चूंकि 2026 में ज्येष्ठ मास दो महीने का होगा, इसलिए यह विशेष महत्व रखती है। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं, और इस दौरान किए गए धार्मिक कार्य कई गुना अधिक फल देते हैं।
  • आश्विन अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या): 10 अक्टूबर 2026 को पड़ने वाली यह अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश न हो पाया हो। इस दिन भी शनिदेव की पूजा का विधान है क्योंकि यह शनिवार को पड़ रही है।
  • कार्तिक अमावस्या (दिवाली अमावस्या): 9 नवंबर 2026 को मनाई जाने वाली यह अमावस्या दीपावली का मुख्य दिन है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ पितरों के लिए दीपदान और तर्पण भी किया जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

✅ Actionable Steps: What You Should Do

  • कैलेंडर चिह्नित करें: 2026 की सभी अमावस्या तिथियों को अपने कैलेंडर में अभी से चिह्नित कर लें। खासकर प्रमुख अमावस्याओं को हाइलाइट करें।
  • तर्पण की योजना बनाएं: अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध या दान करने की योजना बनाएं। किसी योग्य पुरोहित से सलाह लें। आप किसी नदी या तालाब के किनारे आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिला सकते हैं, इससे पुण्य मिलता है।
  • दान-पुण्य करें: अमावस्या पर जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान अवश्य करें। यह पितरों को संतुष्ट करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है।
  • मौन व्रत और ध्यान: मौनी अमावस्या जैसे विशेष दिनों पर मौन व्रत का पालन करें और ध्यान करें। यह आपकी आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक विकास में सहायक होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: अमावस्या तिथि पितृदेव को समर्पित होती है और इस दिन किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या पर पितर अपने वंशजों से मिलने आते हैं, और तर्पण, श्राद्ध व दान से वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।

प्रश्न 2: 2026 में कितनी शनि अमावस्याएं हैं?

उत्तर: साल 2026 में दो शनि अमावस्याएं पड़ रही हैं: पहली 16 मई को ज्येष्ठ अमावस्या और दूसरी 10 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या। ये दिन शनिदेव की पूजा और उनके कुप्रभावों को कम करने के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।

प्रश्न 3: क्या अमावस्या पर शुभ कार्य करना उचित है?

उत्तर: आमतौर पर, अमावस्या को शुभ और मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। हालांकि, यह आध्यात्मिक कार्यों, पितरों के श्राद्ध, दान-पुण्य और देवी-देवताओं (विशेषकर शनिदेव और देवी काली) की साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

प्रश्न 4: 2026 में दिवाली अमावस्या कब है?

उत्तर: साल 2026 में दीपावली अमावस्या 9 नवंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ पितरों के लिए दीपदान और श्रद्धा अर्पित करने का भी महत्वपूर्ण अवसर होता है।

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